बहरियाबाद : गुरू गुड़ ही रहा और चेला चीनी हो गया..........रचयिता हुआ गुमनाम और गायक हुए सरनाम
अमित सहाय की खास खबर
बहरियाबाद। स्थानीय बाजार निवासी एवं पेशे से चिकित्सक डॉ. कमेन्द्र सिंह एक ऐसे हिंदी व भोजपुरी भाषा के गीतकार हैं, जिनकी लिखी दर्जनों गीते भोजपुरी फिल्म, वीडियो एलबम तथा यूट्यूब आदि पर तहलका मचा रही हैं। उनके लिखे दर्जनों गीत गाकर गायक व गायिका तो मशहूर हो गये पर गीतकार को जो ख्याति व सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल सका। जिससे वो आज भी लोगों के बीच गुमनाम रचनाकार ही बनकर रहे हैं। इसके उलट अपने गायक व गायिकाओं के बीच वो जरूर ‘गुरू जी’ के नाम से मशहूर हैं। डॉ. कमेन्द्र सिंह मूल रूप से सैदपुर तहसील के विक्रमपुर गांव निवासी हैं और क्षेत्र में डॉ. केके सिंह के नाम से चर्चित हैं। डॉ. सिंह अब तक पिछले 20-25 वर्षों की साहित्य साधना में 2 हजार से अधिक हिंदी व भोजपुरी में गीत, गजल, भजन व कविताएँ आदि लिख चुके हैं। अर्थाभाव व प्रकाशक के न मिलने से रचनाएं प्रकाशित होकर किताब का रूप नहीं ले सकी हैं। जिसका उन्हें काफी मलाल भी है। लेकिन वो आकाशवाणी, दूरदर्शन व कवि सम्मेलनों और मुशायरों में शिरकत बराबर करते रहते हैं। मशहूर लोक गायक चंदू लाल यादव ने “गोजी में पनही डाल के, चलेला घोघी मार के, गड़ेरिया रहला का...“, रविन्द्र यादव ने तू कितनी नजदीक, तेरे रस्ते कितने लम्बे, जय अम्बे जगदम्बे मॉ, जय अम्बे जगदम्बे... जैसे भजन, मुद्रिका राम ने लोकगीत, अजीत राम, विपिन यादव व लोक गायिका गुंजन पाण्डेय ने काफी चर्चित गीत “चोटहिया जलेबी....“, कनक सिंह “मजा देला मालपुआ गर्मे गरम...“ प्रमोद योगी, विनोद सिंह, मुन्ना बाबा व लोक गायिका खुशबू राज, गुंजन पाण्डेय, कविता यादव आदि कलाकार इनके लिखे दर्जनों गीतों को गाकर काफी मशहूर हो चुके हैं। वहीं भोजपुरी फिल्म ’सईया संवरका’ व अन्य फिल्मों में इनकी लिखी गीतों पर शूटिंग भी चल रही है। कंठ के धनी डॉ. सिंह जब कवि सम्मेलनों में अपनी मशहूर गज़ल “अच्छी तरह बिठा लो, दिल में हमारी सूरत। बस इसलिए नहीं कि लगता हूँ खूबसूरत ...। जैसे अन्य गीत व गजल अपने अंदाज में प्रस्तुत करते हैं तो महफिल झूम उठती है। अब इंतजार इस बात का है कि आखिर कब सरकारें इस प्रतिभा की खोज कर उन्हें उचित सम्मान व मंच देती हैं।