गोरखपुर : टीबी मुक्त गोरखपुर के लिए टीबी केंद्र ने मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षुओं का किया संवेदीकरण, रोकथाम के बताए उपाय


गोरखपुर। टीबी के लक्षणों के आधार पर अगर समय रहते इसकी पहचान और इलाज हो जाए तो देश और समाज को टीबी मुक्त बनाना आसान हो जाएगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर इस दिशा में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। यह बातें जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ गणेश यादव ने कहीं। वह महायोगी गोरखनाथ विश्विद्यालय के श्री गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के एमबीबीएस प्रथम बैच के प्रशिक्षुओं को सम्बोधित कर रहे थे। सीएमओ डॉ राजेश झा के निर्देशन में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के प्रति जिला क्षय रोग केंद्र की तरफ से जनजागरूकता की पहल को आगे बढ़ाते हुए उनका संवेदीकरण किया गया। साथ ही उनसे संवाद करते हुए उनके सवालों का जवाब भी दिया गया। डीटीओ ने कहा कि टीबी की पहचान कुछ मामलों में जटिल है लेकिन एक बार पहचान हो जाने पर इसका इलाज सरल है। पूरे जनपद में टीबी के जांच व इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है। अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी हो, तेजी से वजन गिर रहा हो, भूख न लगती हो, बलगम में खून आ रहा हो या फिर लगातार कमजोरी महसूस हो रही हो तो वह टीबी का भी मरीज हो सकता है। एक अच्छे चिकित्सक को सबसे पहले ऐसे मरीजों की क्लिनिकल डायग्नोसिस करनी चाहिए। डायग्नोसिस के आधार पर माइक्रोस्कोपिक जांच, एक्स रे जांच या फिर सीबीनॉट जांच से टीबी का पता लगाया जा सकता है। सीबीनॉट जांच के जरिये यह भी पता किया जा सकता है कि मरीज ड्रग सेंसिटिव टीबी से पीड़ित है या फिर ड्रग रेसिस्टेंट टीबी से। इस जांच के आधार पर ही इलाज की उपयुक्त अवधि और दवाएं तय की जाती हैं। कहा कि अगर टीबी का कोई मरीज प्राइवेट चिकित्सक के यहां भी इलाज करवा रहा है तो उसे निःशुल्क दवाओं और निःशुल्क महंगी जांचों की सुविधा निजी चिकित्सक की सहमति पर स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध करवाता है। साथ ही प्रत्येक टीबी मरीज को इलाज की अवधि तक 1000 रुपये प्रति माह की दर से निर्धारित समयावधि पर पोषण के लिए सरकार आर्थिक सहायता देती है। टीबी मरीजों को नोटिफाई करने और उनका इलाज पूरा करवाने पर निजी क्षेत्र के चिकित्सकों को भी 1000 रुपये देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इस संवेदीकरण कार्यक्रम के बाद सभी एमबीबीएस के प्रशिक्षुओं का दायित्व है कि वह अपने आसपास के लोगों का संवेदीकरण करें। टीबी मरीजों की समय से और सटीक पहचान करना सीखें और उनके समय से उपचार के जरिये टीबी का संक्रमण चक्र तोड़ने में अपना योगदान दें। इस मौके पर प्रधानाचार्य डॉ अनुराग श्रीवास्तव, डॉ राम कुमार, डॉ नीतीश कुमार, डॉ पूजा मिश्रा, अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग, स्वास्थ्य संचार विशेषज्ञ वेद प्रकाश पाठक आदि रहे।