जन आंदोलन बना 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान, निजी क्षेत्र के चिकित्सक भी आगे आकर दिया टीबी मरीज ढूंढने का भरोसा





गोरखपुर। जिले में चल रहा 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान अब जन आंदोलन बनने लगा है। सरकारी क्षेत्र के साथ ही इस अभियान का हिस्सा निजी क्षेत्र भी बनेगा। शुक्रवार की देर रात तक निजी क्षेत्र के चिकित्सकों के साथ इस अभियान के बारे में चर्चा की गई। मौका था टीबी नोटिफिकेशन और मैनेजमेंट संबंधित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम का, जिसे डॉक्टर्स फॉर यू संस्था के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग ने आयोजित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने निजी क्षेत्र से अपील की कि वह अधिकाधिक टीबी मरीजों को खोजने में मददगार बनें। इस बीच, जिले के मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीना ने भी एक वीडियो संदेश के माध्यम से उच्च जोखिम समूह के लोगों से टीबी जांच की अपील की है। 100 दिन के अभियान में इस समूह के 9.50 लाख लोगों की टीबी जांच होनी है। मुख्य विकास अधिकारी ने कहा है कि टीबी एक ऐसी बीमारी है जो समय से इलाज न करवाने पर फैलती है। दो सप्ताह से अधिक की खांसी, पसीने के साथ बुखार, तेजी से वजन गिरना आदि टीबी के लक्षण हैं। साठ वर्ष से अधिक के लोग, मधुमेह रोगी, शराब पीने व धुम्रपान करने वाले लोग, एचआईवी मरीज और अन्य सहरूग्णता वाले लोग टीबी के मरीज भी हो सकते हैं। ऐसे लोगों की नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में टीबी जांच आवश्यक है। जांच के बाद टीबी निकले तो डरने की आवश्यकता नहीं है, इस बीमारी का पूरा इलाज संभव है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव, जिला पंचायती राज अधिकारी नीलेश प्रताप सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अभिनव कुमार मिश्र समेत कई सामाजिक लोगों ने भी वीडियो अपील के माध्यम से इस अभियान को सफल बनाने में योगदान दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और पीडियाट्रिक एसोसिएशन के गोरखपुर चैप्टर की मदद से निजी क्षेत्र के कई दर्जन प्रतिष्ठित चिकित्सकों का संवेदीकरण किया गया है और उनकी तरफ से भी आश्वासन मिला है कि वह टीबी मरीज खोजने में मदद करेंगे। सीएमओ ने निजी क्षेत्र के चिकित्सकों से निक्षय मित्र बन टीबी मरीजों को गोद लेने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के चिकित्सक अपने यहां उच्च जोखिम समूह के अधिकाधिक लोगों की एक्स रे जांच कराएं। अगर टीबी का लक्षण है तो सीबीनॉट जांच के लिए जिला क्षय रोग केंद्र भेजें। निजी क्षेत्र के चिकित्सक मरीज से परामर्श शुल्क ले सकते हैं और साथ में अपने मरीजों को भी सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं दिलवा सकते हैं। ऐसे मरीजों को भी निक्षय पोषण योजना के तहत 1000 रुपये प्रति माह की दर से इलाज चलने तक पोषण सहायता राशि दी जाती है। नोटिफिकेशन करने वाले चिकित्सक को 500 रुपये नया मरीज नोटिफाई करने पर, जबकि 500 रुपये मरीज के ठीक हो जाने पर दिये जाते हैं। पाथ की प्रतिनिधि डॉ सुचेता ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के बारे में चिकित्सकों को जानकारी दी। इस अवसर पर उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग, मयंक, अभयनंदन आदि रहे।



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