सिधौना : लोगों का कैसे करे उपचार, जब अठगांवा का ये आयुर्वेदिक अस्पताल खुद ही है बीमार, किसी तरह जान दांव पर लगाकर अस्पताल में बैठते हैं कर्मी





सिधौना। मरीजों के स्वास्थ्य को संजीवनी प्रदान करने वाले आयुर्वेदिक अस्पताल को इस समय में खुद ही उपचार की आवश्यकता पड़ गई है। क्षेत्र के अठगांवा स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का जर्जर भवन, जरूरी दवाओं की कमी, संसाधनों की दिक्कतों के साथ ही ये केंद्र इस समय चिकित्सकों की कमी से भी जूझ रहा है। पिछले चार सालों से ये राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र चिकित्सक विहीन चल रहा है। फार्मासिस्ट दिनेश सिंह और वार्ड ब्वॉय सुनील चौबे ही अपनी जान दांव पर लगाकर किसी तरह से इस अस्पताल को किसी तरह से चला रहे हैं। जर्जर भवन की दीवारों को दरकने और ढहने की संभावनाओं के बीच ये चिकित्साकर्मी कुर्सी बाहर लगाकर बैठते हैं। करीब दर्जन भर गांवों के मरीज अपना आयुर्वेदिक इलाज कराने के लिए इसी चिकित्सालय पर निर्भर रहते हैं। लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते इस अस्पताल को उपेक्षित छोड़ दिया गया है। बारिश में तो अस्पताल की छत से पानी की धारा गिरती है। वर्तमान में ये भवन जर्जर और कंडम हो चुका है। इसके बावजूद इसकी सुध कोई नहीं ले रहा है। अस्पताल में न ढंग के टेबल हैं, न उपचार के उपकरण। ऐसे में यहां चिकित्सक भी बेबस रहते हैं। चिकित्सक की कमी से यहां लोग इलाज कराने से कतराने लगे हैं। इसलिए यहां का अस्पताल लावारिस हालत में पड़ा हुआ है। पूर्व में आयुर्वेद पद्धति से उपचार काफी कारगर माना जाता है। शरीर को कोई नुकसान न पहुंचाने वाली इस पद्धति से अब भी लोग उपचार भी कराते हैं, लेकिन जिले में आयुर्वेदिक अस्पतालों का हाल ठीक नहीं है। अठगांवा में नए आयुर्वेदिक अस्पताल के भवन निर्माण के लिए एक शिक्षण संस्थान द्वारा जमीन भी उपलब्ध करा दी गई है। इसके बावजूद अभी तक आयुष विभाग उक्त जमीन की रजिस्ट्री तक नहीं करा पाया है।



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