विश्व क्षय रोग दिवस पर टीबी उन्मूलन का दिलाया गया संकल्प, सर्वाइवर्स ने अनुभव बताकर किया जागरूक
गोरखपुर। विश्व क्षय रोग दिवस पर जिले के क्षय रोग केंद्र गोरखपुर में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मौजूद लोगों ने गोरखपुर को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया। इस दौरान टीबी रोग, इसके उपचार और बचाव के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी। बतौर विशिष्ट अतिथि आईएमए गोरखपुर की अध्यक्ष डॉ स्मिता जायसवाल, चेस्ट फिजिशियन डॉ नदीम अरशद और यातायात उपनिरीक्षक रामवृक्ष यादव ने भी बीमारी के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। सभी लोगों ने टीबी उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता का संकल्प दोहराते हुए कहा कि ‘हां, हम करेंगे गोरखपुर में टीबी का अंत।‘ बता दें कि होली के कारण इस वर्ष विश्व क्षय रोग दिवस 24 मार्च को न मनाकर 28 मार्च को मनाया गया। इसकी थीम ‘हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं’ रखा गया है। इस दौरान टीबी बीमारी का पता लगाने वाले वैज्ञानिक राबर्ट कॉक के चित्र पर पुष्पांजलि देकर उन्हें याद किया गया। अतिथियों ने जिले में सक्रिय कार्य कर रहे टीबी चैम्पियन को पुष्प देकर सम्मानित किया। टीबी उन्मूलन में सक्रिय योगदान दे रहे सरकारी और गैर सरकारी कर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। टीबी चैम्पियन ने वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था की तरफ से टीबी जनजागरूकता संबंधी ग्लास वर्ड अतिथियों को भेंट किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने कहा कि टीबी एक ऐसी बीमारी है जो हमारी दशा, दिशा और दर्शन को बदल देती है। इसकी समय से पहचान कर उचित मात्रा में और उचित समय तक दवा ली जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो जाती है। जिले में इस समय 8257 ड्रग सेंसिटिव टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक 3097 नये टीबी मरीज खोजे गये हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि अधिक से अधिक नये टीबी मरीज खोज कर उनका समय से उपचार किया जाए। समय से उपचार न मिलने पर टीबी ड्रग रेसिस्टेंट हो जाती है और इसका इलाज जटिल होता है। जिले में इस समय 322 ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। डॉ स्मिता ने कहा कि निजी क्षेत्र टीबी उन्मूलन में कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर रहा है। संगठन का प्रयास होगा कि अधिक से अधिक टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें मानसिक संबल और पोषण संबंधी सहयोग प्रदान किया जाए। डॉ नदीम ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती टीबी मरीज द्वारा इलाज पूरा हुए बिना बीच में दवा बंद कर देना है। ऐसा करने वाले मरीज, डीआर टीबी से ग्रसित हो जाते हैं और उन्हें इलाज के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यातायात एसआई ने टीबी संबंधी खुद के अनुभवों को साझा किया और बताया कि वर्ष 2010 में टीबी का इलाज करवाने के बाद वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। जिला क्षय अधिकारी डॉ गणेश यादव ने टीबी बीमारी के लक्षणों के बारे में चर्चा किया और कहा कि लक्षण दिखते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करानी चाहिए। इलाज शुरू होने के तीन सप्ताह बाद टीबी संक्रामक नहीं रह जाती है। इस दौरान सेवानिवृत्त प्रधानचार्य व कवि सुभाष यादव और सरिता सिंह ने अपनी रचना के जरिये टीबी उन्मूलन का संदेश दिया। इस मौके पर एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी, डिप्टी सीएमओ डॉ अनिल सिंह, डॉ सुनील सिंह, डीएचईआईओ केएन बरनवाल, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक मिर्जा आफताब बेग, इंद्रनील, डीएलसी डॉ भोला गुप्ता, शक्ति पांडेय, रामाज्ञा, अभयनंद सिंह आदि रहे। संचालन डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव और आभार अभय नारायण मिश्रा ने ज्ञापित किया।