स्वास्थ्य और पोषण समेत 11 मुद्दों पर सरकारी स्कूलों के बच्चों को किया जाएगा जागरूक, आरोग्य दूत बनेंगे बच्चों के शिक्षक





गोरखपुर। आयुष्मान भारत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत पूर्व प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को स्वास्थ्य और पोषण समेत 11 मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस कार्य में उनके मददगार स्वास्थ्य एवं आरोग्य दूत बनेंगे, जो उनके ही स्कूल के शिक्षक होंगे। ऐसे आरोग्य दूतों को प्रशिक्षित करने की तैयारी तेज हो गयी है। इसी कड़ी में जिला स्तरीय 60 प्रशिक्षकों को दक्ष बनाया गया है, जो इस प्रशिक्षण में मिली जानकारी स्वास्थ्य एवं आरोग्य दूतों तक पहुंचाएंगे। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने बताया कि जिला स्तरीय प्रशिक्षण के दौरान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों और शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गये नोडल शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत जुड़ने जा रहे जिले के 3053 पूर्व प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों तक संदेश पहुंचाने के लिए प्रत्येक स्कूल से शिक्षक को स्वास्थ्य एवं आरोग्य दूत के तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग से जिला स्तर से इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की जिला समन्वयक डॉ अर्चना कुमारी देख रही हैं। डॉ चौधरी ने बताया कि पूर्व प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा तीन से लेकर कक्षा आठ तक के बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों को स्वस्थ बढ़ने, भावनात्मक खुशहाली एवं मानसिक स्वास्थ्य, अंतरव्यैक्तिक संबंध, मूल्य और नागरिकता, पोषण स्वास्थ्य और स्वच्छता, हिंसा और आघातों के प्रति संरक्षा और सुरक्षा जैसे विषयों के बारे में जागरूक किया जाएगा। कार्यक्रम के तहत सिर्फ उच्च प्राथमिक स्तर के कक्षा छठवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों को इंटरनेट और सोशल मीडिया के सुरक्षित उपयोग, प्रजनन स्वास्थ्य और एचआईवी की रोकथाम, मादक पदार्थों के दुरूपयोग की रोकथाम और प्रबंधन, स्वस्थ जीवनशैली का प्रसार और लैंगिक समानता जैसे विषयों के बारे में भी जागरूक किया जाएगा। डॉ अर्चना ने बताया कि विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए केस स्टडीज, परिचर्चा, ग्रीनबुक, वाद विवाद, विभिन्न दिवसों के आयोजन, दृश्य श्रव्य माध्यमों, पोस्टर, भूमिका निर्वाह, परिवार व समुदाय के साथ सहभागी शारीरिक गतिविधियां, खेलकूद, शारीरिक शिक्षा, चित्र पुस्तक, तुकबंदियां व गीत, बाल संसद, केंद्रों के दौरे, समूह गतिविधियों और कठपुतली के खेल जैसे साधनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इनके जरिये बच्चों, किशोर और किशोरियों तक सही जानकारी पहुंचा कर उनके मन में बैठे मिथक और भ्रांतियों को भी दूर किया जाना है। जिला स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके चरगांवा ब्लॉक के आरबीएसके चिकित्सक डॉ मनोज मिश्रा और डॉ पवन कुमार ने बताया कि सामाजिक बदलाव में यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके तहत स्वस्थ आदतों के विकास, किशोर किशोरियों को शारीरिक परिवर्तन और वर्जनाओं के बारे में जागरूक करने, स्वच्छ, स्वस्थ व सुपोषित रहने के तरीके, नशावृत्ति से दूर रहने, प्रजनन स्वास्थ्य और एचआईवी की रोकथाम संबंधी प्रयास प्रमुख तौर पर शामिल हैं।



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