भारत को सशक्त बनाने व युवाओं को स्वरोजगार व उद्यमिता के विकल्पों पर विचार कराने के लिए हुई गोष्ठी
गाजीपुर। स्वदेशी जागरण मंच और पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में विश्व उद्यमिता दिवस को लेकर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। स्वावलंबी भारत अभियान के तहत उद्यमिता विकास को लेकर आयोजित गोष्ठी में सह संयोजक अजय आनंद ने युवाओं को उद्यमिता के अलग-अलग पहलुओं से परिचय कराया। बताया कि किस तरीके से युवा उद्यमी बनकर खुद और अन्य के लिए रोजगार के बेहतर विकल्प पैदा कर सकते हैं। वही कैलाश नाथ तिवारी ने बताया कि बच्चों को सामूहिकता के भाव से प्रेरित रहना चाहिए। सामूहिक रूप से एक दूसरे की मदद कर समाज में रोजगार के बेहतर विकल्प या उद्यमिता की ओर बढ़ना चाहिए। मुख्य वक्ता नरेन्द्र नाथ सिंह ने बताया कि भारत कृषि प्रधान देश रहा है। एक दौर था कि लोग रोजगार या नौकरी के बजाय कृषि आधारित उद्योग करने में गर्व महसूस करते थे। कालांतर में अब लोग कृषि को घाटे का सौदा मान रहे हैं और नौकरी की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाये हुए हैं। इसकी मुख्य वजह भारत की अर्थव्यवस्था का कृषि प्रधान होना है। भारत के युवाओं को देश को सशक्त बनाने के लिए स्वरोजगार और उद्यमिता के विकल्पों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, न कि उन्हें नौकरी की अंधी दौड़ में शामिल होना चाहिए। अध्यक्षता कर रहे प्रो डॉ राघवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि किस तरीके से भारत विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर है। जी-20 उसकी एक बानगी है। तमाम देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने अलग-अलग आर्थिक, सामाजिक पहलुओं पर विचार मंथन किया। भारत, स्पेस साइंस और डिफेंस आदि के सेक्टर में स्वावलंबी बन चुका है। जिसे खुद भारत अन्य मुल्कों को तकनीकी मदद उपलब्ध कराने में सक्षम हो गया है। ऐसे में युवाओं को देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने में मदद करनी चाहिए और उन्हें उद्यमिता के विकल्पों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। इस मौके पर चीफ प्रॉक्टर प्रो डॉ एसडी सिंह परिहार, प्रो अवधेश सिंह, प्रो सत्येंद्र नाथ सिंह, सहायक प्रवक्ता डॉ योगेश कुमार, डॉ राम दुलारे आदि रहे।