जिला स्वास्थ्य समिति और जिला टॉस्क फोर्स की हुई बैठक, संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तैयारियों की समीक्षा





गोरखपुर। जुलाई माह में महीने भर चलने वाले विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान जन जन तक नौ संदेश पहुंचाए जाने चाहिए। जनजागरूकता की इस मुहिम के साथ संचारी रोगों जैसे इंसेफेलाइटिस, मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, स्क्रबटाइफस आदि से बचाव की गतिविधियों में सभी 12 विभागों में समन्वय सुनिश्चित होना चाहिए। दस्तक पखवाड़े के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता साथ में ही लक्षित परिवार तक पहुंचें। उक्त बातें मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा ने जिला स्वास्थ्य समिति और ड्रिस्ट्रिक्ट टॉस्क फोर्स की बैठक के दौरान विकास भवन सभागार में कहीं। उन्होंने विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान और दस्तक पखवाड़े की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 10 अगस्त से प्रस्तावित सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम में योगदान के लिए सभी लोगों को शपथ भी दिलाया। इस मौके पर हेल्थ डेशबोर्ड रैंकिंग में बेहतर योगदान देने वाले एनएचएम प्रबंधक व कर्मी भी सम्मानित किये गये। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि नौ संदेश दरअसल नौ प्रकार के मंत्र हैं, जिन पर अमल करके संचारी रोगों से बचाव किया जा सकता है। इनके प्रचार प्रचार पर विशेष जोर देना है। लोगों को बताना है कि नालियों में जलभराव को रोकें और उनकी नियमित सफाई करें। जानवरों के बाड़े को घरों से दूर रखें। जंगली झाड़ियों की नियमित सफाई करें। चूहों और छछूंदरों से बचाव करें। पीने के पानी के लिए इंडिया मार्का टू हैंडपम्प का ही इस्तेमाल करें। खाने से पहले हाथों को साबुन पानी से धोएं। खुले में शौच न करें और नियमित शौचालय का प्रयोग करें। कुपोषित बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें। बच्चों को जापानीज इंसेफेलाइटिस का दोनों टीका अवश्य लगवाएं। डॉ दूबे ने बताया कि एक माह के अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ नगर विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग, पशुपालन विभाग, शिक्षा विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, कृषि एवं सिंचाई विभाग, सूचना विभाग और उद्यान विभाग अपनी अपनी भूमिकाओं के जरिये संचारी रोगों के नियंत्रण में भूमिका निभाएंगे। इन विभागों की भूमिका से अधिक महत्वपूर्ण स्थान सामुदायिक योगदान का है। मानसूनी मौसम के बाद मच्छरों की तादात भी बढ़ जाती है। इन पर नियंत्रण और इनसे बचाव के लिए नगर निकाय और पंचायती राज विभाग के साथ समुदाय को भी अपनी सहभागिता निभानी होगी। बैठक के दौरान नियमित टीकाकरण कार्यक्रम, एकीकृत छाया वीएचएसएनडी की गुणवत्ता, सभी राष्ट्रीयकृत कार्यक्रमों और जुलाई में प्रस्तावित जनसंख्या स्थिरिकरण पखवाड़े के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। एक कदम सुपोषण की ओर अभियान से ज्यादा से ज्यादा गर्भवती, धात्री और अति कुपोषित बच्चों को जोड़ने और उन्हें चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवाते हुए ई कवच पोर्टल पर फीडिंग का निर्देश दिया गया। नवजात स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया। इस अवसर पर जिला महिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार, एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार, डॉ एके चौधरी, डॉ गणेश यादव, डॉ नंदलाल कुशवाहा, जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह, डिप्टी सीएमओ डॉ अश्वनी चौरसिया, डीडीएचईआईओ सुनीता पटेल, मंडलीय कार्यक्रम प्रबंधक अरविंद पांडेय, जिला कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई से डीपीएम पंकज आनंद, डीडीएम पवन गुप्ता, डैम पवन कुमार, जेई एईएस कंसल्टेंट डॉ सिद्धेश्वरी सिंह, आरबीएसके की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना, आदिल फखर समेत डब्ल्यूएचओ, यूनीसेफ, यूपीटीएसयू, पाथ, यूएनडीपी और सीफार के प्रतिनिधि मौजूद रहे।



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