गाजीपुर : कृषि कंपनी ने फसल अवशेष प्रबंधन पर लगाया सेमिनार, पीजी कॉलेज के बच्चों को दिया प्रशिक्षण, बच्चों ने पराली न जलाने की ली शपथ





गाजीपुर। क्षेत्र के फतेउल्लाहपुर स्थित सेल एग्री कमोडिटीज लिमिटेड में चल रहे पीजी कॉलेज के बीएससी (कृषि) के चतुर्थ सेमेस्टर के छात्रों के ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव के तहत फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। आयोजन का उद्देश्य कृषि विषय के छात्रों एवं किसानों को पराली जलाने के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करना व इसके वैकल्पिक और लाभकारी उपायों से अवगत कराना था। कंपनी के प्रबंधक प्रिंस गक्खर ने कहा कि पराली जलाने की परंपरा अब हमारे पर्यावरण और कृषि भूमि के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। कहा कि कंपनी किसानों के साथ मिलकर इस चुनौती का समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रो. डॉ जी. सिंह ने हैप्पी सीडर और सुपर स्ट्रॉ प्रबंधन प्रणाली, बायो एंजाइम्स, कम्पोस्टिंग तकनीक और बायोचार निर्माण जैसे नवाचारों के बारे में विस्तार से बताया। ये भी बताया कि पराली जलाने से उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन और स्वास्थ्य पर इसके खतरनाक प्रभाव पड़ते हैं। कंपनी के एचआर हिमांक यादव ने पराली के वैकल्पिक प्रबंधन विधियों की व्यवहारिक उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फसल अवशेषों, धान की भूसी, पराली, सरसों की तूड़ी, गन्ने की पत्तियों, गन्ने की खोई को ईंधन के रूप में प्रयोग करके स्टीम तैयार की जाती है, जिनका उपयोग टरबाइन द्वारा बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। बताया कि ये बहुत ही सस्ती तकनीक है। स्थानीय किसान छोटेलाल ने पराली से जैविक खाद बनाने के अपने सफल अनुभव साझा किए। महिपाल सिंह भोज ने छात्रों को पराली प्रबंधन से जुड़ी सरकारी योजनाओं, उपकरणों पर मिलने वाली सब्सिडी व तकनीकी प्रशिक्षण की जानकारी दी। अंत में उपस्थित छात्र-छात्राओं ने पराली न जलाने की शपथ ली और भविष्य में वैज्ञानिक विधियों से फसल अवशेषों का सदुपयोग करने का संकल्प लिया। कंपनी ने आश्वस्त किया कि कंपनी किसानों के साथ मिलकर न केवल फसल उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि पर्यावरण संवेदी तकनीकों को भी बढ़ावा देगी। इस मौके पर डॉ शिवशंकर सिंह यादव, डॉ अशोक कुमार, डॉ सुधीर सिंह, डॉ पीयूषकांत सिंह, विपुल उपाधयाय, डीके शर्मा, दिनेश यादव, संजीव काम्बोज आदि रहे।



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