टमाटर उगाने वाले किसानों के चेहरे बुझे, लागत भी न निकलने से परेशान हुए किसान
खानपुर। सब्जियों, दाल व सलाद में स्वाद बढ़ाने वाला टमाटर इस समय काफी सस्ता बिक रहा है। खरीदारों को तो बहुत फायदा हो रहा है पर टमाटर उत्पादक किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। टमाटर एक ऐसी फसल है जिसकी कीमतों में अत्यधिक उतार चढ़ाव होता है। इससे लाभ कमाना लॉटरी के समान होता है। या तो बहुत कुछ मिलता है या कुछ भी नहीं मिलता है। टमाटर और मिर्च को नगदी खेती मानी जाती है। इस बार टमाटर अपनी उत्पादन लागत भी नहीं निकाल पा रही है। टमाटर की खेती में जो लागत लगाई थी उसके दाम भी किसानों को नहीं मिल पा रहे हैं। सर्द मौसम में घुमन्तू पशुओं से बचाते हुए भारी लागत लगाकर सब्जियां उगाने वाले किसान अपनी जमा पूंजी का नुकसान होते देख उदास और निराश है। फरिदहां के किसान बृजेश कुशवाहा ने बताया कि बीते कुछ साल से ज्यादातर टमाटर की खेती की जाने लगी है, जिसके कारण टमाटर का लगातार उत्पादन बढ़ा है। बीते कुछ साल पहले टमाटर में किसानों को अच्छा मुनाफा मिलने से टमाटर के प्रति किसानों का रुझान भी बढ़ा है। लेकिन टमाटर के दाम औंधे मुंह गिर गए हैं जिसके कारण टमाटर उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। अधिकांश किसान इस बार टमाटर का उत्पादन कर पछता रहे हैं। उन्हें मात्र चार से पांच रुपये किलो तक के भाव ही मिल पा रहे हैं। किसानों को टमाटर लागत से भी कम में बेचना पड़ रहा है। इसके बावजूद किसानों के हित के लिए कोई भी कदम अब तक नहीं उठाई गई है।