जब भगवान शिव को देवी रति ने दे दिया था ऐसा शाप कि........





देवकली। क्षेत्र के ब्रह्मस्थल परिसर में चल रहे मानस सम्मेलन के दूसरे दिन संगीतमय प्रवचन हुआ। इस दौरान कथावाचक देवी रत्नमणि ने कहा कि अंधाधुंध पेड़ काटे जाने से मानव जीवन के अस्तित्व पर असर पड़ा है। कहा कि वृक्षों से हमें फल-फूल, इमारती लकड़ी के साथ ही साथ शुद्ध हवा भी मिलती है। इनके अभाव में प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने से दैवीय आपदा का प्रकोप बढ़ रहा है। कहा कि सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। इसकी जड़ें गहरी हैं। कहा कि विदेशी तत्वों द्वारा बार-बार हमला किए जाने के बावजूद हम मौजूद हैं। आज का युवा पश्चिमी सभ्यता की ओर भाग रहा है और यही हमारे पतन का कारण है। इस दौरान भगवान शिव पर चर्चा करते हुए कहा कि तारकासुर के अत्याचार से देवता त्रस्त थे। लेकिन भगवान शिव समाधीस्थ थे। ऐसे में उनकी समाधि भंग करने के लिए कामदेव को भेजा गया। कामदेव वहां पहुंचे तो भगवान शिव ने गुस्से में आकर उन्हें भस्म कर दिया। जिसके बाद कामदेव की पत्नी देवी रति रोते बिलखते भगवान शिव के पास पहुंचीं और कहा कि देवताओं के कहने पर हमारे पति ने समाधि भंग किया था, ऐसे में उनका क्या दोष? रति ने भगवान शिव को शाप देते हुए कहा कि मेरे पति को जला दिया गया लेकिन पार्वती को भी कभी पुत्र नहीं होगा। इसके पश्चात शिव बारात व विवाह पर आधारित गीत प्रस्तुत किए गए। जिसे सुनकर लोग नृत्य करने लगे। इस मौके पर प्रभुनाथ पाण्डेय, अरविन्द लाल श्रीवास्तव, बबलू वर्मा, दयाराम गुप्ता, त्रिलोकीनाथ गुप्ता, संजय श्रीवास्तव, विबोध मौर्य, अजय मौर्य, नरेन्द्र कुमार मौर्य, अवधेश मौर्य, गोपाल वर्मा, विशाल वर्मा आदि रहे।



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