देवउठनी एकादशी पर श्रद्धालुओं ने कराया तुलसी-शालीग्राम का विवाह, आज से शुरू हो जाएंगे सभी मांगलिक कार्य
खानपुर। दैवीय पर्व के रूप में प्रख्यात देव उठनी एकादशी का पर्व पूरे क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान क्षेत्र के मठ, मंदिर, आश्रम सहित व्रती श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों में मंडप बनाकर तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन किया गया। व्रतियों सहित महिला श्रद्धालुओं ने गोधूलि बेला में पूरे विधि विधान से तुलसी विवाह में भाग लिया। इस दौरान केले और गन्ने के पौधों से बने मंडप में तुलसी जी के पौधे पर चुनरी ओढ़ा कर उनका शालिग्राम से विवाह करवाया गया। विवाह के दौरान महिलाओं ने मंगल गीत गाए और ‘ओम नमः भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का पाठ किया। तुलसी विवाह के पश्चात श्रद्धालुओं के द्वारा ब्राह्मणों को यथा संभव दान दक्षिणा व उपहार भेंट किए गए। देवउठनी एकादशी के मौके पर भजन कीर्तन और कथा का भी आयोजन किया गया था। कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहते है। सोए हुए भगवान श्रीहरि विष्णु को आज के दिन उपवास, पूजापाठ, कीर्तन आदि मांगलिक कार्यों को करके जगाना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में तीर्थ स्नान कर शंख और घंटा बजाकर मंत्र बोलते हुए भगवान विष्णु को जगाकर उनकी पूजा करते है। मान्यता है कि देवोत्थान पर्व के बाद से ही शादियां, गृह प्रवेश एवं तिलक, वररक्षा, मुंडन, उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक शुभकार्य शुरू हो जाते हैं।