हत्या के मामले में सुबूत मिटाने के आरोपी थानेदार के खिलाफ दर्ज होगा मुकदमा, कोर्ट ने 4 को उम्रकैद देते हुए दिया आदेश
गाजीपुर। मुहम्मदाबाद के भांवरकोल थानाक्षेत्र के पूर्व एसओ रहे विपिन सिंह के खिलाफ अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय संजय यादव ने हत्या के मामले में साक्ष्य मिटाने का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ जहां मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, वहीं घटना के मामले में पिता व उसके दो बेटों समेत चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 6 साल पूर्व 2015 में शेरपुर कलां में घर के बाहर बैठे लल्लन राय की गोलियों से भूनकर दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी और उनके पट्टीदार सरोज राय को गोलियां लगी थी। उस मामले में घटना की प्रत्यक्षदर्शी मृतक की पत्नी माधुरी राय ने संजय राय समेत उसके दो पुत्र दामोदर उर्फ बड़क राय व दिगंबर उर्फ लाली राय समेत उत्कर्ष राय के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। जिसके बाद से ही मामला विचाराधीन था। इस मामले में गोलीकांड के पीड़ित सरोज राय समेत वहां मौजूद प्रभात रंजन राय ने बयान बदल लिया। इधर इस मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष विपिन राय की भूमिका कोर्ट को संदिग्ध लगी। पुलिस ने विवेचना के दौरान उत्कर्ष राय का नाम हटा दिया था, साथ ही तमंचे से हत्या किए जाने की बात लिखे जाने के बावजूद आर्म्स एक्ट की धाराओं को मुकदमे से हटा दिया गया था। जिस पर न्यायालय ने बारीकी से संज्ञान लिया और ये माना कि इसमें तत्कालीन थानाध्यक्ष विपिन सिंह की भूमिका है और उन्होंने ही साक्ष्य मिटाने की गरज से ऐसा गैरकानूनी काम किया। जिसके बाद न्यायालय ने उत्कर्ष राय को पुनः हत्यारोपी मानते हुए उसके खिलाफ भी सुनवाई की और दोनों पक्षों की दलीलें व गवाहों के बयान सुनने के बाद सभी चार हत्यारोपियों को उम्रकैद की सजा व 75-75 हजार रूपए का अर्थदंड लगाया। जिसमें से 60 फीसदी राशि मृतक के पत्नी को देने का हुक्म दिया। साथ ही तत्कालीन एसओ की भूमिका को देखते हुए यूपी डीजीपी व गाजीपुर एसपी को धारा 201 में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।