23वें शहादत दिवस पर अश्रुपूरित नेत्रों से दी गई कारगिल शहीद व सेना मेडल विजेता को श्रद्धांजलि





बिरनो। कारगिल शहीद व सेना मेडल विजेता कमलेश सिंह का 23वां शहादत दिवस कस्बा स्थित शहीद के आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान शिक्षाविद व पूर्व कुलपति डॉ हरिकेश सिंह ने कहा कि देश की सीमाएं सुरक्षित रहें, इसकी एकता व अखंडता बची रहे, इसके लिए प्राचीन काल से संतों, तपस्वियों के साथ ही सीमा पर तैनात योद्धाओं ने बड़ी भूमिका निभाई है। कहा कि भगवान राम से लेकर चन्द्रगुप्त मौर्य, महाराणा प्रताप, भगत सिंह, सरदार पटेल तक एक ही शृंखला रही है। सभी ने देश व राज्य की अखंडता सुरक्षित करने को अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। इसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम अपने क्षेत्र के शूरवीर शहीद कमलेश सिंह ने किया, जब पाकिस्तान धोखे से भारत के एक हिस्से पर कब्जा करने की बदनीयत से आया था। उसके मंसूबे को ध्वस्त करके भारत के तिरंगे की आन-बान-शान के लिए कमलेश सिंह ने अपनी शहादत दे दी। कहा कि शहीद स्थलों, स्मारकों का महत्व मंदिर-मस्जिदों से ज्यादा है। क्योंकि यहां से देश सेवा के लिए अपार ऊर्जा मिलती है। देश जब सुरक्षित रहेगा तब आपका सम्मान-स्वाभिमान भी सुरक्षित रहेगा। कहा कि शहीद कमलेश सिंह ने जब 1999 में कारगिल में शहादत दी, तभी से गाजीपुर की शहीदी धरती के केवल इस क्षेत्र से ही दर्जनों युवाओं ने अपने आपको मातृभूमि के लिए समर्पित कर दिया है। ये स्मारक अपार ऊर्जा का केंद्र है और आने वाले दिनों में भी ये प्रेरणा देती रहेगी। इस मौके पर मन्नू राजभर, घूरा सिंह, तेज बहादुर सिंह, कार्तिक कुमार, गुड्डू यादव, अभिनव सिंह, रूपेश कुमार, अमित सिंह, राजेश सिंह, विनोद बिन्द, अरुण राय, विवेक सिंह, राजेश राम, रणजीत सिंह, अजीत कुमार, वैभव सिंह, सूर्यांश सिंह आदि रहे। अध्यक्षता शहीद के पिता कैप्टन अजनाथ सिंह ने व संचालन योगेश सिंह ने किया।



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