सेहत, पोषण और कुरीतियों पर अपने गीत-संगीत से वार कर रही पूजा व शांति, अनूठे प्रयास की हो रही सराहना





गोरखपुर। गीत-संगीत को जरिया बनाकर सेहत, पोषण व सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूजा और सहायिका शांति लोगों को जागरूक करने में जुटी हैं। अन्रप्राशन दिवस, गोदभराई दिवस, किशोरी दिवस जैसे प्रमुख अवसरों के अलावा अन्य सभी आयोजनों में यह लोग टीम के साथ ढोलक की थाप पर स्वर लहरियों से समुदाय को संदेश देती हैं। शहरी क्षेत्र में पूजा व शांति की टीम मिलकर 1000 से ज्यादा अवसरों पर ऐसी प्रस्तुतियां दे चुकी है। राप्तीनगर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूजा श्रीवास्तव फिल्मी धुनों पर सामाजिक गीत लिखती हैं। वह बताती हैं कि उन्हें पहले से ही इसका शौक था। वर्ष 2008 में उन्होंने बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) ज्वाइन किया लेकिन तब इसका चलन नहीं था। वर्ष 2019 में जब मुख्य सेविका मोहित सक्सेना के साथ काम करने का मौका मिला और उन्होंने एक दो कार्यक्रमों में उन्हें गाते हुए देखा तो विभाग के लिए एक टीम बनाने का सुझाव दिया। मोहित के कहने पर ही उन्होंने गीत लिखना शुरू किया। उन्होंने ‘स्वच्छता लाकर देश को बढ़ाना...., सेवाओं की है यह योजना निराली...., बुखार में होगी देरी, आफत जान पर उतना ही होगी......, झाड़ फूंक और झोलाछाप के चक्कर में न पड़ना.....’ जैसे गानों के जरिये समाज को जागरूकता का संदेश दिया। पूजा के परिवार में उनके अलावा उनकी तीन बेटियां हैं। वह कहती हैं कि कोविड काल में केंद्र की गतिविधियां ठप होने से गीत-संगीत तो थम गया लेकिन समुदाय के बीच लोगों से मिल कर उन्हें जागरूक किया गया। परिवार और बच्चों से सावधानीपूर्वक दूरी बनाते हुए सेवाएं दी गयीं। शिवपुर सहबाजगंज की आंगनबाड़ी सहायिका शांति ढोलक बजाने और गाने दोनों की जानकार हैं। वह बताती हैं कि उन्हें गीत-संगीत का शौक पहले से था। जब विभाग में मुख्य सेविका मोहित को यह पता चला तो उन्होंने मौका देना शुरू किया। हर प्रमुख मौके पर गीत-संगीत के जरिये लाभार्थियों और उनके परिजनों तक जागरूकता की बात पहुंचायी गयी। चार बच्चों और पति के साथ महानगर में ही रहने वाली सहायिका का कहना है कि गीत-संगीत के कारण लाभार्थियों के बीच अच्छी पहचान बन जाती है और सरकारी योजनाओं को बताने में भी आसानी होती है। कोविड काल में जब लोगों को सेवा देने उनके बीच पहुंचे तो काम करने में आसानी हुई। शिवपुर सहबाजगंज की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरिता गुप्ता, रागिनी देवी, जंगल शालिकराम की कार्यकर्ता शशिबाला भारती और जंगल तुलसीराम बिछिया की कार्यकर्ता शर्मिला भारती भी इस टीम का हिस्सा हैं और गीत संगीत में प्रमुख तौर पर योगदान दे रही हैं। मुख्य सेविका मोहित सक्सेना बताती हैं कि गाना बनाने में विषय के अनुसार तर्ज डालने का काम पूजा करती हैं और शांति सहयोग करती हैं। दोनों ही ढोलक बजा कर गीतों के माध्यम से जनजागरूकता का प्रयास कर रही हैं। इस गतिविधि को प्रोत्साहित करने में जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह और शहरी बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का अहम योगदान है। शहरी सीडीपीओ प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और उनकी टीम शहरी क्षेत्र में तो गीत संगीत के कार्यक्रम करती है, कई बार जिला स्तरीय आयोजनों में भी उन्हें बुलाया जाता है। टीम का यह प्रयास सराहनीय एवं अनुकरणीय है।



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