जिलाधिकारी ने खुद फाइलेरिया की दवा खाकर की छूटे लोगों से दवा खाने की अपील, खाने के गिनाए लाभ
गोरखपुर। जिलाधिकारी विजय किरण आनंद ने शुक्रवार की देर शाम फाइलेरिया की दवा का सेवन किया और कहा कि यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक के बाद देर शाम उनके चैंबर में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उन्हें दवा का सेवन करवाया। उन्होंने दवा से छूटे हुए लोगों से अपील की है कि वह सुरक्षित और असरदार दवा का सेवन अवश्य करें। जिले में 12 से 27 मई के दौरान चले सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) अभियान के दौरान 51 लाख के लक्ष्य के सापेक्ष 39 लाख लोग दवा खा चुके हैं । छूटे हुए लोगों के लिए एक से छह जून तक माप अप राउंड चलाया जाएगा । जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे, एसीएमओ वीबीडीसी डॉ एके चौधरी, जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह, सहायक मलेरिया अधिकारी सीपी मिश्र जिलाधिकारी के चैंबर में पहुंचे। सीएमओ ने डीएम को बताया कि इस दवा का सेवन कुछ खाने के बाद ही करना होता है। जिलाधिकारी द्वारा सहमति जताने पर उन्हें डीईसी की तीन गोलियां और एलबेंडाजाल की एक गोली खिलाई गई। जिलाधिकारी ने अपने कक्ष में मौजूद भाजपा जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह और समाजसेवी पीके मल्ल समेत बाकी पदाधिकारियों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित किया जिस पर सभी लोगों ने दवा का सेवन किया । उन्होंने पार्टी के लोगों से टीबी उन्मूलन अभियान व फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में उनके संगठन के स्तर से सहयोग करने को भी कहा। जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि माप अप राउंड के पहले भी मोबाइल टीम विभिन्न प्रमुख कार्यालयों में दवा खिलाने का कार्य जारी रखेगी । दवा से छूटे हुए लोग आशा कार्यकर्ता से दवा लेकर सेवन कर सकते हैं। अगर पांच साल तक साल में एक बार दवा का सेवन किया जाए तो इस बीमारी से बचाव संभव है । इस दवा का सेवन दो साल से अधिक उम्र के सभी लोगों (गर्भवती व गंभीर तौर पर बीमार लोगों को छोड़कर) को करना है । दवा खाना खाने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खानी है । जिन लोगों के शरीर में परजीवी होते हैं, जब वह लोग दवा खाते हैं तो परजीवियों पर हमला होता है और कुछ लोगों में उल्टी, मिचली, सिरदर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं लेकिन थोड़े ही समय में यह स्वतः समाप्त हो जाते हैं। अभियान के दौरान दवा का सेवन उन लोगों को अनिवार्य तौर पर करना है जिन्हें फाइलेरिया नहीं है । यह दवा एक प्रकार से फाइलेरिया के टीके की तरह है। डीएमओ ने बताया कि जब क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है, लेकिन संक्रमण का यह लक्षण आने में पांच से पंद्रह साल तक भी लग जाते हैं । इससे या तो संक्रमित व्यक्ति को हाथीपांव हो जाता है, जिसमें हाथ, पैर, स्तन सूज जाते हैं अथवा हाइड्रोसील हो जाता है जिसमें अंडकोष सूज जाता है। हाथीपांव के साथ जीवन का निर्वहन कठिन हो जाता है। इन स्थितियों से बचने का एक ही उपाय है कि दवा का सेवन किया जाए।