जयंती पर याद किए गए सम्राट अशोक, योगदानों को किया गया याद





गाजीपुर। मौर्यवंशी चक्रवर्ती सम्राट अशोक की जयंती नंदगंज के बरहपुर में मनाई गई। इस दौरान अशोक स्तंभ के समक्ष दीप, धूप व पुष्प अर्पण कर बुद्ध धम्म और संघ वंदना किया गया। इसके बाद मोमबत्ती जलाकर सम्राट अशोक के सिद्धांतों पर चलने का आह्वान किया गया। बसपा नेता व अधिवक्ता मदन सिंह कुशवाहा ने कहा कि महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक एक सम्राट ही नहीं बल्कि सम्राटों के सम्राट थे, उन्होंने अपने जीवन काल में कई राज्यों को जीतकर मौर्य राज्य का विस्तार किया। मौर्य काल में भारत की सीमा अफगानिस्तान तक थी। सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में 20 महाविद्यालय स्थापित कर शिक्षा को भी बढ़ावा देने का काम किया था। कलिंग युद्ध के नरसंहार को देखकर उनका हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया। भारत सरकार ने तो अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय चिह्न के रूप में अपनाया लेकिन सम्राट अशोक की जयंती को भूल गए। प्रदेश सरकार और भारत सरकार को अन्य महान विभूतियों की जयंती की तरह सम्राट अशोक की जयंती भी धूमधाम से मनानी चाहिए और सार्वजनिक अवकाश घोषित करना चाहिए। कहा कि राजनीतिक भागीदारी के बिना कुशवाहा समाज के लोगों को आर्थिक और सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं हो सकती। इसलिए कुशवाहा समाज की सूरत बदलने के लिए हमें आपसी समरसता के साथ एकजुटता लानी होगी। रजनीश कुशवाहा ने सम्राट अशोक मौर्य और बाबा भीमराव अंबेडकर के जीवन काल को विस्तार से बताते हुए उनके पद चिह्नों पर चलने का आह्वान किया। कहा कि मौर्य समाज को अपना गौरवशाली इतिहास नहीं भूलना चाहिए। इस मौके पर कमलेश कुशवाहा, भरत कुशवाहा, नगीना कुशवाहा, सूबेदार कुशवाहा, संजय कुशवाहा, मुसाफिर कुशवाहा, अमित,अरविंद कुशवाहा, बदल मौर्य, अभिषेक अरविंद गुप्ता, हरदेव कुशवाहा, राजकुमार कुशवाहा, राकेश मौर्य, देवप्रकाश मौर्य, नित्यानंद कुशवाहा, डा. मुकेश कुशवाहा, बंटी, जयकेश कुशवाहा, हिमांशु, पुनीत, विपिन, श्रीकांत, दुर्वासा कुशवाहा आदि रहे। अध्यक्षता रिटायर्ड एडीओ एग्रीकल्चर रामनरेश कुशवाहा व संचालन अजय कुशवाहा ने किया।



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