उच्च जोखिम गर्भावस्था के बावजूद आशा कार्यकर्ता की सक्रियता से बची जच्चा बच्चा की जान


गोरखपुर। खोराबार ब्लॉक के सेमरा देवी गांव की शिल्पा का सुरक्षित प्रसव न हो पाता अगर उनके परिवार ने आशा कार्यकर्ता की मदद न ली होती। शायद जच्चा-बच्चा के जीवन को भी संकट हो जाता क्योंकि शिल्पा उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की स्थिति में थीं। हीमोग्लोबिन की कमी थी और झटके भी आ रहे थे। नर्मदा बताती हैं कि उनकी बहू शिल्पा की गर्भावस्था के बारे में उन्हें भी पता नहीं था। उन्हें तब पता चला जब प्रसव पीड़ा हुई। गांव की आशा कार्यकर्ता सेवाती देवी उनकी बहू को लेकर जिला महिला अस्पताल गयीं, जहां जांच के बाद पता चला कि प्रसव के लिए शिल्पा को मेडिकल कालेज लेकर जाना पड़ेगा। आशा खुद रात भर महिला अस्पताल में रहीं। मेडिकल कालेज भी साथ गयीं। वहां बच्चा होने के बाद एक माह तक बच्चे को न्यूनेटल इंटेशिव केयर यूनिट में रखा गया। इसके बाद मां-बच्चे को घर लाया गया और अब दोनों स्वस्थ हैं। सेवाती देवी का कहना है कि छठे महीने के बाद गर्भावस्था के बारे में शिल्पा ने उन्हें बताया था। वह कई बार प्रयास किया कि प्रसव पूर्व जांच करवाई जाए लेकिन शिल्पा के पति अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं हुए। जब प्रसव पीड़ा हुई तो उनके परिवार ने खुद सेवाती से संपर्क किया। वह फौरन शिल्पा के साथ जिला महिला अस्पताल गईं। वहां जांच के बाद हीमोग्लोबिन महज नौ ग्राम निकला। चिकित्सकों ने बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। शिल्पा के तीन बच्चे पहले से थे। मेडिकल कालेज में चौथे बच्चे के लिए सीजेरियन पद्धति अपनायी गयी और उसी समय परिवार को समझा कर शिल्पा की नसबंदी भी करवा दी गयी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि प्रत्येक बुधवार व शनिवार को ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी), अर्बन हेल्थ सेनिटेशन एंड न्यूट्रिशन डे (यूएचएसएनडी), रविवारीय मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मेला और प्रत्येक माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) को गर्भवती जांच की विशेष सुविधा दी जाती है। गर्भवती की जांच व दवाएं प्रत्येक कार्य दिवस में सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध हैं। पहली बार गर्भवती होने पर गर्भवती को तीन किश्तों में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 5000 रुपये पोषण के लिए दिये जाते हैं। जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के तहत अस्पताल में संस्थागत प्रसव करवाने पर शहरी क्षेत्र की महिला को 1000 और ग्रामीण महिला को 1400 रुपये खाते में देने का प्रावधान है। जननी शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम (जेएसएसके) के तहत गर्भवती को घर से अस्पताल लाने और अस्पताल से घर जाने, 48 घंटे तक भर्ती रखने के दौरान भोजन, इलाज, दवाओं की सुविधा निःशुल्क है। बाल विकास सेवा एंव पुष्टाहार विभाग द्वारा गर्भवती को निःशुल्क पोषाहार, स्वास्थ्य विभाग के एएनएम द्वारा निःशुल्क कैल्शियम आयरन की गोलियां और नियमित टीकाकरण कार्यक्रम पर टिटनेस डिप्थीरिया (टीडी) का टीका भी लगाया जाता है।