रामचरित मानस जयंती पर हुआ सम्पूर्ण मानस पाठ, संस्कृति को लेकर हुई चर्चाएं


खानपुर। क्षेत्र के गौरी में गोमती नदी किनारे पर्णकुटी स्थित मानस भवन में रामचरित मानस जयंती पर मानस भवन के दीवारों पर लिखे सम्पूर्ण रामचरित मानस का पाठ और अवलोकन किया गया। महंत अरुनदास महाराज ने बताया कि संत कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखा गया महाकाव्य है। जिसे अयोध्या के सरयू तट पर चैत्र शुक्लपक्ष रामनवमी के दिन मंगलवार को मंगल मुहूर्त में लिखना शुरू किया था। सम्पूर्ण रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को दो वर्ष सात माह और 26 दिन का समय लगा था। इस महाकाव्य को गोस्वामी ने मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में राम विवाह के दिन पूर्ण किया था। अवधी भाषा में चरित मानस भले रामकथा हो किन्तु इसका मूल उद्देश्य राम के चरित्र के माध्यम से नैतिकता एवं सदाचार की शिक्षा देना रहा है। स्वामी सूरदास जी कहते है कि रामचरितमानस भारतीय संस्कृति का वाहक महाकाव्य ही नहीं बल्कि विश्वजनों के आचारशास्त्र का बोधक महान ग्रन्थ भी है। यह मानव धर्म के सिद्धान्तों के प्रयोगात्मक पक्ष का आदर्श रूप प्रस्तुत करने वाला ग्रन्थ है। धर्म के विभिन्न रूपों की अवतारणा इसकी विशेषता है। पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, गुरुधर्म, शिष्यधर्म, भ्रातृधर्म, मित्रधर्म, पतिधर्म, पत्नीधर्म, शत्रुधर्म के साथ प्रकृति के सभी सम्बन्धों के विश्लेषण के साथ ही साथ सेवक व सेव्य, पूजक व पूज्य, एवं आराधक व आर्राध्य के आचरणीय कर्तव्यों का वर्णन इस ग्रन्थ में प्राप्त होता है।