भ्रांतियाँ हुईं दूर तो पीपीआईयूसीडी का बढ़ा क्रेज, काउंसलर्स ने पांच साल में चार गुना बढ़ाए लाभार्थी





गोरखपुर। जंगल कौड़िया ब्लॉक की एएनएम प्रीति यादव ने छह महीने के भीतर 200 से ज्यादा प्रसूताओं को परिवार नियोजन के अस्थायी साधन पोस्टपार्टम इंट्रा यूटेराइन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) को अपनाने के लिए राजी कर लिया। यह संभव हो पाया महिलाओं और उनके परिजनों के मन में बैठी भ्रांति को दूर करने से। प्रीति जैसी काउंसलर्स ने लाभार्थियों के मन से भ्रांति को मिटाया तो पांच साल में इस साधन के लाभार्थियों की संख्या भी चार गुना हो गयी। इस कार्य में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) द्वारा एएनएम को प्रशिक्षित कर परिवार नियोजन काउंसलर बनाने के प्रयोग ने अहम भूमिका निभाई है। प्रशिक्षण प्राप्त कर काउंसलर बनी प्रीति बताती हैं कि महिलाओं को परिवार नियोजन के बॉस्केट ऑफ च्वाइस की जानकारी देने के लिए वह ओपीडी के पास ही बैठती हैं। जब गर्भवती चेक अप के लिए आती हैं तो वहीं पर उनकी और उनके परिजनों की काउंसलिंग की जाती है। उन्हें बताया जाता है कि पीपीआईयूसीडी पांच से दस साल के लिए लगती है और इसे आवश्यकता पड़ने पर निकलवाया जा सकता है। प्रीति का कहना है कि ज्यादातर महिलाओं के मन में यह भ्रांति होती है कि पीपीआईयूसीडी मांस पकड़ लेता है या फिर शरीर में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है। ऐसी महिलाओं को चित्र के जरिये समझाया जाता है कि ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है और यह सिर्फ भ्रम है। बता दें कि एएनएम को प्रशिक्षित कर परिवार नियोजन काउंसलर बनाने का प्रयोग गोरखपुर में ही हुआ है। यहां वर्ष 2017-18 में जहां सिर्फ पांच काउंसलर थे, वहीं वर्ष 2021-22 तक इनकी संख्या 24 हो गयी है। सभी काउंसलर्स को पिछले और इस साल प्रशिक्षण दिया गया और हर छह महीने पर प्रशिक्षण प्रस्तावित है। वर्तमान में सभी एनम काउंसलर को आईयूसीडी पीपीआईयूसीडी लगाने का प्रशिक्षण भी जनपद के प्रशिक्षक के माध्यम से दिलवाया गया है और वह सफलतापूर्वक आईयूसीडी एवं पीपीआईयूसीडी लगा रही है। पीपीआईयूसीडी की भ्रांतियों को दूर किये जाने से आशा कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि में प्रतिभागिता भी बढ़ी है। वर्ष 2020-21 में जहां अप्रैल से दिसंबर माह तक महज 39.85 प्रतिशत आशाओं को इस विधा में प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई थी, वहीं वर्ष 2021-22 में यह प्रतिशत बढ़ कर 58.26 हो गया ।



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