मासूम बच्चे के लिए वरदान साबित हुई आशा कार्यकत्री, सक्रियता के चलते अब बोल पाता है मासूम, मजदूर पिता जता रहे खुशी
गोरखपुर। डेढ़ वर्ष का अकर्ष अब बोल लेता है और उसके परिजन इस बात से काफी उत्साहित हैं। यह संभव न हो पाता अगर आशा कार्यकर्ता सावित्री ने उनकी मदद न की होती। दरअसल अकर्ष चौहान जन्मजात कटे होंठ, तालू और टेढ़े दांत के विकार से ग्रसित था। उसके परेशान परिजनों को आशा कार्यकर्ता ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम से मिलवाया और फिर सम्बद्ध निजी अस्पताल में निःशुल्क सर्जरी हुई। बच्चा अब पूरी तरह से ठीक है। अकर्ष के पिता बलराम पेशे से मजदूर हैं व मां पत्नी दुर्गावती देवी गृहणी हैं। परिवार की माली हालत इस लायक नहीं है कि किसी निजी चिकित्सालय में इलाज करवाया जा सके। करीब डेढ़ साल पहले चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर दुर्गावती का संस्थागत प्रसव हुआ और अकर्ष पैदा हुआ। अकर्ष को जन्मजात कटे होंठ और तालू की समस्या थी। बलराम बताते हैं कि उनका बच्चा बड़े होने के साथ बोलने में असमर्थ था। यह समस्या उन्होंने सावित्री को बताई तो सावित्री ने उनकी काफी मदद की और चरगांवा बुलाकर डॉक्टर से मिलवाया। बलराम का कहना है कि उनके बच्चे को चरगांवा से एंबुलेंस की सुविधा मिली और आरबीएसके टीम से जुड़ी सरिता और गरिमा उनके साथ निजी अस्पताल गईं। बच्चे को भर्ती किया गया और दूसरे दिन सर्जरी भी की गयी। पहले दिन अस्पताल से खाने के लिए 150 रुपये मिले और तीसरे दिन 500 रुपये देकर डिस्चार्ज किया गया। साथ ही पूरा इलाज निःशुल्क हुआ। वो बच्चे की चिकित्सा से संतुष्ट हैं। सावित्री का कहना है कि उन्हें इस बात का प्रशिक्षण दिया गया था कि अगर कोई बच्चा जन्मजात इस विकार से ग्रसित है तो उसे निःशुल्क चिकित्सा मिलती है। अकर्ष को पैदा होते ही यह दिक्कत थी। जब बच्चा बड़ा हुआ तो परिजनों को आरबीएसके टीम के चिकित्सक डॉ. मनोज मिश्र से मिलने को कहा। उनकी टीम ने काफी मदद की। इससे हमारा भी हौसला बढ़ा है और आगे भी ऐसे लोगों की मदद की जाएगी। बता दें कि जिले के सभी 19 ब्लॉक में आरबीएसके योजना की दो मेडिकल टीम हैं। टीम को यह दिशा-निर्देश है कि शून्य से 19 साल तक के बीमार बच्चों को स्क्रिन कर उन्हें स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराएं। यह टीम स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहुंच कर ऐसे बच्चों की स्क्रीनिंग करती है। अगर किसी आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी बीमार और कुपोषित बच्चे मिलते हैं तो वह आरबीएसके टीम से संपर्क कर सकती हैं।