’........... नाप कर देख लो दुनिया की चादर, कोई मां के आंचल से बड़ी नहीं होती’, काव्य गोष्ठी में बरसे रस





सादात। क्षेत्र के भदौरा मौधियां में मातृ पितृ स्मृति सेवा संस्थान ट्रस्ट के तत्वावधान में पुण्य स्मरण दिवस मनाया गया। जिसमें महामना ग्रामीण पुस्तकालय एवं कलाम वाचनालय भवन के सभागार में विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य अतिथि पूर्व पीसीएस अधिकारी श्यामलाल कुशवाहा ने कहा कि गांव पाश्चात्य सभ्यता के कुटिल प्रहार से दिन प्रतिदिन बदरूप होते जा रहे हैं। भौतिक दृष्टि से तो समृद्ध हो रहे हैं किंतु अपनी मौलिक सांस्कृतिक पहचान खोते जा रहे हैं। इसे संरक्षित करने की जरूरत है। वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व प्राचार्य प्रो. अशोक सिंह ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि गांव में पुस्तकालय व वाचनालय होना उसकी जीवंतता दर्शाता है, युवा इसका लाभ लें। आमतौर पर रोजी रोटी की तलाश में बाहर गए व्यक्ति शहरों में ही आबाद होकर गांव से नाता तोड़ लेते हैं किंतु प्रशासनिक अधिकारी होते हुए भी ओम धीरज का अपने गांव, मिट्टी और क्षेत्र के प्रति लगाव दूसरों के लिए प्रेरणादायक है। बसेवां निवासी नन्हकू सिंह उर्फ नानक दास को ’लोकहंस साहित्य श्री’ पुरस्कार से विभूषित करते हुए प्रतीक चिह्न व अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। संचालन करते हुए डॉ. गजाधर प्रसाद शर्मा ने कहा कि यह एक आदर्श शिक्षक के साथ ही लोकगीत कलाकार व समर्पित साहित्यकार हैं। इस दौरान हुई काव्य गोष्ठी में ओम धीरज ने मुक्तकों की लड़िया पिरोते हुए सामाजिक पारिवारिक एवं राष्ट्रीय चेतना से जोड़ते हुए ‘वक्त को थाम ले ऐसी कोई घड़ी नहीं होती, जीत के लिए भी जादुई छड़ी नहीं होती। नाप कर देख लो कोई दुनिया की कोई भी चादर मां के आंचल से कभी बड़ी नहीं होती’ लाइनें कहीं। वाराणसी के नागरी प्रचारिणी से आये बृजेश चन्द्र पाण्डेय ने हास्य की अनेक क्षणिकाएं सुनकर लोगों को हंसने पर विवश किया। संचालक ने मुक्तकों के माध्यम से श्रोताओं को मंच से जोड़ने की भूमिका तैयार करने के साथ ही भोजपुरी गीत ‘फटही लुगरी में सुघरी समात नइखे, दुखड़ा गाथल चाहे केतनो गथात नईखे’, सुनाया। वहीं डॉ. अशोक कुमार सिंह ने ‘मैं तुमको एक गीत सुनाने आया हूं, रामकृष्ण की याद दिलाने आया हूं’, सुनाया। देवेंद्र जोशी, श्यामसुंदर, संयोजक वीरेंद्र चौबे, सुरेन्द्र चौबे, वशिष्ठ चौबे, हरिहर यादव, शिवमूर्ति पाण्डेय, मनिकराज, गौरव मिश्रा, अमित त्रिपाठी, जयप्रकाश, हरिप्रसाद मौर्य, छविनाथ यादव, बृजभूषण, नित्यानन्द, संजय आदि भी रहे। आयोजक ओम धीरज ने सभी के प्रति आभार जताया।



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