महिला, दलितों व पिछड़ों के उत्थान को जीवन पर्यंत जुटी रहीं सावित्री बाई फुले, आदर्शों पर चलने की जरूरत - पूर्व सांसद
गाजीपुर/देवकली। कुशवाहा महासभा के तत्वावधान में महिलाओं, दलितों व पिछड़ों के उत्थान के लिए जीवन पर्यंत संघर्षरत सावित्रीबाई फुले की जयन्ती धूमधाम से देवकली व गाजीपुर स्थित महात्मा ज्योतिराव फूले पब्लिक स्कूल में मनाई गई। पूर्व सासंद जगदीश कुशवाहा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने समाज के दबे कुचले, पिछड़ों, दलितों तथा समाज की उपेक्षित महिलाओं के विकास के लिए आजीवन संघर्ष किया। उनकी सोच थी कि जब तक महिलायें स्वालम्बी नहीं होंगी, देश व समाज का विकास नहीं होगा। कहा कि सावित्रीबाई फूले का जन्म आज ही के दिन 1831 को खन्दोजी नेवसे के घर हुआ। 1840 में 9 वर्ष की उम्र में उनका विवाह ज्योति राव फुले के साथ हो गया था। उनके पति महिला शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने ही सावत्री को स्वयं पढ़ाकर शिक्षिका बनाया। पूर्व सांसद ने लोगों से उनके जीवन आदर्शों पर चलने की अपील की। रामनरेश कुशवाहा ने कहा कि जिस समाज की भलाई के लिए सावत्री बाई फुले ने पूरा जीवन लगा दिया, उसी अज्ञानी रूढ़िवादी समाज ने बदले में उनका तिरस्कार किया, उपहास उड़ाया, उन पर कीचड़ गोबर तक फेंका गया। लेकिन सही मायने में समता, ममता व शिक्षा की साक्षात देवी सावत्रीबाई फुले ने उनकी अज्ञानता पर दया करते हुए समाज सेवा का कार्य निरन्तर जारी रखा। उनके द्वारा दिया गया संदेश आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करेगा। इस मौके पर नरेन्द्र कुमार मौर्य, जितेन्द्र कुशवाहा, डॉ शिवकुमार, डॉ. संतोष कुशवाहा, अशोक कुशवाहा, सुरेन्द्र, प्रमोद, रामवचन, डॉ. संजय कुशवाहा, रामनरेश मौर्य, रमाशंकर, रामकिशुन एडवोकेट, अवधेश, रामवृक्ष, धर्मराज, हंसराज कुशवाहा आदि रहे। अध्यक्षता देवनाथ कुशवाहा व संचालन राजपति एडवोकेट ने किया।