पुरूष नसबंदी की भ्रांति खत्म करने को आगे आए दो युवा, नसबंदी कराकर खुशहाल जिंदगी जी रहे सिकंदर व वंशी





गोरखपुर। पुरुष नसबंदी के प्रति भ्रांति पालने वालों को पादरी बाजार के सिकंदर और तिकोनिया के बंशी से प्रेरणा लेनी चाहिए। दोनों लोगों ने नसबंदी करवायी है और खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। स्वयंसेवी संस्था पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल (पीएसआई)- द चैलेंज इनीशिएटिव ऑफ हेल्दी सिटीज (टीसीआईएचसी) के प्रतिनिधि और आशा कार्यकर्ता के संयुक्त प्रयासों से नसबंदी कराने का दोनों ने निर्णय लिया। दोनों ने सिर्फ दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन में पुरुष भागीदारी का सकारात्मक संदेश दिया है। नसबंदी से न तो इनके शरीर पर कोई बुरा प्रभाव पड़ा और न ही किसी प्रकार की कमजोरी महसूस करते हैं। सिकंदर ने बताया कि उनकी शादी वर्ष 2014 में हुई थी। शादी के बाद एक बेटा और एक बेटी का जन्म हुआ। क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता रंभा देवी ने उनके परिवार में आकर पुरुष नसबंदी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने यह निर्णय लेने से पहले अपने संयुक्त परिवार में चर्चा की और सभी की सहमति से छह महीने पहले नसबंदी करवा लिया। सिकंदर का कहना है कि वह बमुश्किल कक्षा- चार तक पढ़े हैं, लेकिन उन्हें छोटे परिवार का महत्व पता है। उनके परिवार ने साथ दिया और वह नसबंदी करवा सके। अपने निर्णय से वह पूरी तरह संतुष्ट हैं। चरगांवा ब्लॉक के बंशी की शादी वर्ष 2014 में हुई। वह कहते हैं कि पुरुष नसबंदी का निर्णय लेने में पत्नी ने सहयोग किया। दम्पत्ति ने आपस में विचार-विमर्श कर यह फैसला किया। बंशी पेशे से पेंटर हैं और उनका कहना है कि इस दौर में दो बच्चों की परवरिश अच्छे से हो जाए, यह ज्यादा जरूरी है। उनके पास दो बच्चे हैं। क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता रमा श्रीवास्तव ने उन्हें नसबंदी के महत्व के बारे में बताया था। उन्हें आशा की बात समझ में आयी। नसबंदी बहुत आसानी से हो गयी और एक साल का वक्त बीत चुका है। इस दरम्यान कोई दिक्कत भी महसूस नहीं हुई।



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