भारत-चीन सीमा पर हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद होने के बाद लोगों का फूटा गुस्सा, आर्थिक मोर्चे पर की गई चीन के बहिष्कार की मांग
नंदगंज। लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी जवानों के बीच सोमवार की रात हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने की खबर आने के बाद से ही पूरा क्षेत्र मर्माहत तथा आक्रोशित है। धोखेबाज चीन द्वारा वार्ता करने गये भारतीय जवानों के साथ लाठी डंडे व धक्का मुक्की के साथ हिंसक झड़प किए जाने के चलते सैन्य अधिकारियों सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये। इधर भारतीय सेना के जवानों ने भी मुँहतोड़ जवाब देते हुए 40 से अधिक चीनी सैनिकों को मार डाला। भारत के 20 जवानों की शहादत के बाद से क्षेत्र के बुद्धिजीवी, पत्रकार, भूतपूर्व सैनिक व युवा पीढ़ी गुस्से में है। सभी का कहना है कि अब चीन की इस दोहरी हरकत का करारा जवाब देने की जरुरत है। इसके साथ ही अब देश की जनता तथा दुकानदारों को चीन की इस कायराना हरकत पर चाइनीज सामानों के बहिष्कार करने का निर्णय हृदय से लेना होगा। भूतपूर्व सैनिक राजा सिंह यादव ने कहा कि लद्दाख एलएसी पर चार दशकों के बाद कोई जवान शहीद हुआ है। सेवानिवृत्त सैनिक मुन्नीलाल यादव ने कहा कि हमें इस घटना की निंदा ही नहीं, बल्कि हमारे 20 जवानों के बदले 200 चीनियों के शव चाहिए। यह देश के सम्मान की बात है और ऐसे संवेदनशील मसले पर किसी राजनितिक दल को राजनीति नहीं करनी चाहिये। आज पूरे देश को एकजूद होकर सेना हौसला बढ़ाना होगा। क्षेत्र के पत्रकारों ने भी शहीद भारतीय जवानों को नम आँखों से श्रद्धांजलि दिया और चीनी समानों को आजीवन नहीं खरीदने का संकल्प लिया। कहा कि चीन को उसकी हैसियत बताने के लिये देश में सभी लोगों को एकजुट होकर चाइनीज सामानों का बहिष्कार करना होगा।