मिसाल बना रहा आरएसएस, पात्रों के स्वाभिमान को न पहुंचे ठेस, इसलिए रात के अंधेरे में राशन पहुंचा रहे स्वयंसेवक, सभी संगठनों से की फोटो न खींचने की अपील





जखनियां। वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए देश में चल रहे लॉक डाउन के चलते लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं। जिससे तमाम परिवारों को दो जून की रोटी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा देर शाम से लेकर देर रात तक घुप अंधेरे में ठेला, साइकिल व मोटरसाइकिलों पर खाद्य सामग्री, राशन, सब्जी, तेल, मसाले आदि के पैकेट लेकर जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा रहा है। ये स्वयंसेवक पैकेट वितरित करने के दौरान पात्रों की पहचान को गोपनीय रखने के लिए फोटो भी नहीं ले रहे। उनका कहना है कि ऐसा करने से पात्रों को स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी। उनकी इस निःस्वार्थ सोच को जानने के बाद क्षेत्रीय लोग उन्हें देवदूत भी कहते दिख रहे हैं। उनका कहना है कि इस भीषण आपदा के दौरान गरीबों की कम मदद करके ज्यादा फोटो खींचने वालों के बीच ये स्वयंसेवकों का रवैया बेहद संतोषजनक और मानवता से भरा हुआ है। जिला प्रचारक डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि रात के अंधेरे में मदद करने वाले इन स्वयंसेवकों से सभी समाजसेवियों व संगठनों को सीख लेनी चाहिए। लोगों की मदद करके अगर लोगों को प्रेरित भी करना है तो सांकेतिक फोटो डालना भी बेहतर होता है। बुधवार की रात में उन्होंने जखनियां, सादात, दुल्लहपुर, मनिहारी, देवकली, करण्डा, सैदपुर सहित तमाम खंडों के एक हजार से अधिक परिवारों तक राशन पहुंचाया।



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