9 दिवसीय रूद्र महायज्ञ का हुआ समापन, शिव-सती प्रसंग सुनकर भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु
देवकली। क्षेत्र के धनईपुर में चल रहे 9 दिवसीय रूद्र महायज्ञ के अंतिम दिन का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रवचन करते हुए संत घनश्यामाचार्य बालक स्वामी ने महावीर व रघुवीर पर चर्चा करते हुए कहा कि श्रीराम दयावीर, पराक्रमी वीर, धर्मवीर, त्यागवीर, विद्यावान थे, जिसके चलते वो रघुवीर कहे जाते हैं। कहा कि हनुमान जी ने श्रीराम के पांचों गुणों को अपने अन्दर समाहित कर लिया था, जिसके चलते वो महावीर कहे जाते हैं। इस दौरान संत ने पार्वती व भगवान शिव के विवाह पर चर्चा करते हुए कहा कि माता सती जब अग्निकुंड में सति हो रही थीं तो उस समय भी उनकी ये इच्छा थी कि भगवान शिव ही उन्हें हमेशा पति के रुप में मिलें। इसलिए नारद के कहने पर घोर तपस्या की। इसके बाद जब माता पार्वती से उनका विवाह हुआ तो उनके बाराती भूत, प्रेत, पिशाच, सांप, बिच्छू, गोजर आदि बने। परिछन के समय दूल्हे के रूप में शिव को देखकर मैना वहां आरती की थाली फेंककर चली गईं। लेकिन भगवान शिव ने इस अपमान को भी सम्मान के रूप में देखा। बाद में देवर्षि नारद ने पूर्व जन्म का वर्णन किया, तब जाकर मैना का भ्रम दूर हुआ। कहा कि भगवान शिव समाधि में लीन थे तो उनकी समाधि तोड़ने के लिए कामदेव ने तपस्या भंग करनी चाही। जिसके बाद भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुला और कामदेव जलकर भस्म हो गए।