मंडल रेल निरीक्षक से लगायत एसडीएम ने दी इजाजत, आरपीएफ निरीक्षक लगा रहे रावण दहन पर रोक, लोगों में आक्रोश





सैदपुर। औड़िहार रेलवे स्टेशन पर हो रही रामलीला में रावण के पुतला दहन पर आरपीएफ ने आपत्ति जताई है। जबकि वहां पर बीते 70 सालों से यानी आजादी के समय से ही जिले की प्रसिद्ध रामलीला का आयोजन रेलवे स्टेशन के सामने आयोजित किया जाता रहा है। पूर्व एमएलसी डॉ कैलाश सिंह प्रतिवर्ष रेलवे के सक्षम अधिकारी डीआरएम से अनुमति और किराए पर जमीन लेकर इस रामलीला का आयोजन करते हैं। इसी क्रम में इस साल भी रेलवे से 13 दिनों के लिए शुल्क युक्त अनुमति के बाद रामलीला के लिए एसडीएम ओमप्रकाश गुप्ता द्वारा भी लिखित अनुमति दी गई है। औड़िहार रामलीला की सबसे बड़ी विशेषताओं में एक है यहां का विशालकाय रावण। इस साल भी आधा दर्जन कलाकारों द्वारा बीते 15 दिनों से बनाये जा रहे 51 फुट ऊंचे रावण के पुतले पर औड़िहार स्टेशन के आरपीएफ प्रभारी सुमन कुमार ने आपत्ति लगाते हुए कहा कि रामलीला के अनुमति में रावण जलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। वहीं व्यवस्थापक आशीष सिंह गुंजन ने बताया कि पिछले कई सालों से सुरक्षा के सभी इंतजाम कर रावण दहन किया जाता है। कहा कि रामलीला की अनुमति का अर्थ है सभी तरह की लीलाओं की अनुमति। रावण दहन भी उसी लीला का एक हिस्सा है। ऐसे में अगर आरपीएफ द्वारा ये कहा जाएगा कि ये लीला का हिस्सा नहीं है तो ये गलत है और जनभावनाओं के खिलाफ है। कहा कि 13 दिनों की रामलीला के एक-एक दिन का परमीशन नहीं दिया जाता, बल्कि एक साथ सभी की इजाजत मिलती है। कहा कि बिना आतिशबाजी और अतिरिक्त अग्नि उपक्रम के रावण का पुतला यहां पर जलाया जाता है। रेलवे प्रशासन की अनुमति के बाद भी आरपीएफ प्रभारी का रामलीला आयोजन में व्यवधान पहुंचाना गलत है। कहा कि रावण दहन पर रोक लगाकर आरपीएफ प्रभारी हजारों लोगों के धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचा रहे हैं। कहा कि विजयादशमी के दिन रावण के विशाल पुतले पर आग लगाने से पूर्व उपयुक्त अग्निशमन उपकरणों के साथ सभी सुरक्षात्मक उपाय भी किये जाते है। रामलीला आयोजन में विजयादशमी पर रावण दहन रोक लगाने की सूचना से आयोजक समिति सहित क्षेत्रीय रामलीला प्रेमियों में जबरदस्त आक्रोश है।



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