पीएमएमवीवाई ने आसान हुई मातृ पोषण की राह, प्रथम मातृत्व पर मिलते हैं 5 हजार रुपये
गोरखपुर। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) से जिले में मातृ पोषण की राह आसान हुई है। योजना के तहत पहली बार गर्भवती होने पर तीन किश्तों में 5000 रुपये सीधे बैंक खाते में मिलते हैं। इस रकम से गर्भावस्था के दौरान मातृ पोषण और प्रसव के बाद मातृ-शिशु पोषण में मदद मिलती है। इस योजना का लाभ सरकारी कर्मचारी को नहीं दिया जाता, जिनका आशय नियमित, संविदा, आऊटसोर्सिंग किसी भी प्रकार के सरकारी कार्य से है। भटहट ब्लॉक के बड़हरिया गांव की रहने वाली मरियम खातून के पति बाहर रहते हैं। शादी के बाद जब पहला बच्चा होने को था तो आशा कार्यकर्ता सोनू ने उन्हें योजना की जानकारी दी। वह बताती हैं कि सोनू उन्हें लेकर भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) गईं और वहां न केवल योजना के तहत पंजीकरण करवाया, बल्कि समय-समय पर प्रसव पूर्व जांच भी करवाईं। उन्हें बताया कि योजना में पंजीकरण होने से तीन किश्तों में आर्थिक सहायता मिलेगी । मरियम बताती हैं कि प्रथम दो किश्त के तौर पर उन्हें 3000 रुपये एक साथ प्राप्त हुए और यह पैसे पौष्टिक आहार जैसे अनार, सेब, ड्राई फ्रूट्स खाने में उनके लिए मददगार बने। थोड़े दिन बाद प्रसव हुआ तो इन पैसों से ही ड्राई फ्रूट्स का सेवन किया। उन्हें चिकित्सक से सलाह मिली थी कि गर्भावस्था के दौरान तीन से चार बार पूरा आहार लेना है और हरी साग सब्जियां, दूध, पनीर, अंडा जैसे पौष्टिक भोजन लेने हैं। योजना से इस कार्य में उन्हें काफी मदद मिली। उनका प्रसव आठ जुलाई 2020 को सीएचसी भटहट पर हुआ और स्वस्थ बच्चा पैदा हुआ। जब बच्चे को टीका लग गया और 90 दिन की अवधि बीत गयी तो तीसरी किश्त के तौर पर 2000 रुपये और प्राप्त हुए। मरियम और उनका बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और खुशहाल जीवन जी रहे हैं। भटहट ब्लॉक की कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (बीसीपीएम) आरती त्रिपाठी बताती हैं कि अंतिम मासिक धर्म के 150 दिन के भीतर गर्भवती को एएनएम के पास पंजीकरण करवाना होता है और आशा फार्म ए भरती हैं । इस तरह पहली किश्त के तौर पर 1000 रुपये मिल जाते हैं। जब प्रसव पूर्व दूसरी जांच हो जाती है तो आशा फार्म बी भरती हैं और दूसरी किश्त के तौर पर 2000 रुपये मिलते हैं। प्रसव बाद बच्चा 90 दिन का हो जाता है और टीकाकरण का पेंटा कार्ड बन जाता है तो फार्म सी भरवाया जाता है और इसके बाद 2000 की तीसरी किश्त खाते में प्राप्त हो जाती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ड्रिस्ट्रिक्ट डेटा मैनेजर पवन कुमार गुप्ता का कहना है कि योजना के तहत 01 अप्रैल 2017 से सात जुलाई 2022 तक कुल 90532 गर्भवती का पंजीकरण किया गया है। उनको लाभ दिया जा रहा है। योजना में पंजीकरण पूरी तरह से निःशुल्क है और आशा कार्यकर्ता की मदद से करवाया जा सकता है। ड्रिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (डीसीपीएम) रिपुंजय पांडेय का कहना है कि सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे और एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार के दिशा-निर्देशन में योजना का प्रचार-प्रसार करवाया जा रहा है। इस योजना से एक तरफ तो गर्भवती को पोषण के लिए पैसे मिलते हैं तो दूसरी ओर प्रसव पूर्व जांच एवं संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल रहा है। लोगों में बच्चों के टीकाकरण का व्यवहार भी विकसित होता है।