गोरखपुर : चल रहा पुरुष नसबंदी पखवाड़ा, नसबंदी कराने वालों ने बताए अनुभव





गोरखपुर। पुरुष नसबंदी की पूरी प्रक्रिया महज 15-20 मिनट में पूरी हो जाती है । तीन से चार दिन बाद अपना नियमित कार्य कर सकते हैं । शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता और न ही शारीरिक कमजोरी आती है । पुरुष नसबंदी के दौरान दर्द भी नहीं होता है। यह कहना है महानगर के जंगल सालिकराम के रहने वाले 32 वर्षीय नितीश और शिवपुर सहबाजगंज के रहने वाले 38 वर्षीय तीरथराज का। दोनों लोगों ने करीब डेढ़ साल पहले पुरुष नसबंदी करवाई थी और अब खुशहाल जिंदगी जी रह हैं । दोनों नसबंदी के तीन दिन बाद ही काम पर लौट गये थे । नीतीश पेशे से मजदूर हैं । वह बताते हैं कि उन्हें आशा कार्यकर्ता मनीषा प्रजापति ने पुरुष नसबंदी कराने की सलाह दी थी । उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। बेटा सबसे छोटा है। आशा कार्यकर्ता ने उन्हें बड़े परिवार का नुकसान बताया और यह भी जानकारी दी कि वह पुरुष नसबंदी अपना सकते हैं । आशा ने उन्हें यह भी बताया कि पुरुष नसबंदी आसान होता है और इससे उन्हें कोई दिक्तत नहीं होगी। नितीश का कहना है कि नसबंदी के पहले उन्हें थोड़ा सा डर लग रहा था, लेकिन जब नसबंदी हुई तो पता भी नहीं चला । नसबंदी चंद मिनट में हो गयी । अस्पताल में पूरी प्रक्रिया में दस से पंद्रह मिनट का समय लगा । नसबंदी के बाद दो-तीन दिन आराम किया और फिर काम करने लगा । तीन महीने बाद अस्पताल बुला कर फॉलो अप भी किया और शुक्राणु जांच के बाद बताया गया कि नसबंदी सफल हो गयी है । तीरथराज पेशे से सब्जी विक्रेता हैं । वह स्वीकार करते हैं कि उन्होंने नसबंदी का निर्णय देर से लिया । उनके तीन बेटे और एक बेटी है। पत्नी की तबीयत खराब रहती थी इसलिए वह नसबंदी नहीं अपना सकीं। वह भयवश अपनी नसबंदी नहीं करवा रहे थे। उनके एक दोस्त ने नसबंदी करवायी थी। दोस्त ने उन्हें बताया कि नसबंदी में कोई परेशानी नहीं होती । इसी बीच स्वयंसेवी संस्था पापुलेशन इंटरनेशनल सर्विसेज (पीएसआई)-द चैलेंज इनीशिएटिव फॉर हेल्दी सिटीज (टीसीआईएचसी) के कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता ने भी उनसे संपर्क किया और उनके मन की भ्रांतियां दूर कीं । रुस्तमपुर स्थित अस्पताल में उनकी नसबंदी हुई और इसमें कोई दिक्कत नहीं हुई। वह कहते हैं कि उन्होंने बड़ा परिवार कर गलती की है, उन्हें पहले यह सुविधा लेनी चाहिए थी । महंगाई के इस दौर में बड़ा परिवार पालना सबसे कठिन कार्य है । अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) डॉ. नंद कुमार का कहना है कि दिशा-निर्देशों के मुताबिक पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं। पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। उन्होंने यह भी बताया कि पुरुष नसबंदी कराने वाले लाभार्थियों को 2000 रुपये उनके खाते में भेजे जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी को 300 रुपये दिये जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित करने वाले गैर सरकारी व्यक्ति को भी 300 रुपये देने का प्रावधान है।



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