खुद की नौकरी गई तो अधखिले पुष्पों की खुशबू बढ़ाने को पुष्पेंद्र ने उठाई जिम्मेदारी, सैकड़ों नौनिहालों को निःशुल्क दे रहे शिक्षा व खेल प्रशिक्षण



बिंदेश्वरी सिंह की खास खबर



खानपुर। ‘कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों।’ इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं कोरोना काल में अपनी नौकरी गंवा बैठे पुष्पेन्द्र कुमार। उन्होंने समाज के वंचित व उपेक्षित गरीबों के सैकड़ों नौनिहालों को निःशुल्क पढ़ाने का बीड़ा उठाया है। खानपुर क्षेत्र के सिधौना निवासी पुष्पेन्द्र कुमार गांव के दक्षिण गोमती नदी के तराई इलाके में अकेले दम पर खेल का मैदान बनाकर दर्जनों लड़कों और लड़कियों को निःशुल्क कबड्डी, लंबी दौड़, लंबी कूद, ऊंची कूद, बाधा दौड़, वॉलीबाल आदि का प्रशिक्षण देने के साथ ही उन्हें अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामान्य ज्ञान आदि विषयों को पढ़ाते हैं। पुष्पेन्द्र बताते है कि करमपुर स्थित मेघबरन सिंह स्टेडियम में प्रशिक्षक का कार्य करने के बाद वो वाराणसी स्थित स्पोर्ट्स हॉस्टल में खेल प्रशिक्षक के तौर पर कार्यरत रहे। इसके बाद वैश्विक महामारी के दौरान जब लॉकडाउन लगा तो प्रशिक्षण बंद होने से अनिश्चित काल तक के लिए नौकरी चली गई। कहा कि गांव आने पर प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए आस पड़ोस के लोगों से स्मार्ट फोन के लिए गिड़गिड़ाता देख मैंने उन्हें खुद पढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते बच्चों की संख्या तीन दर्जन के ऊपर हो गई। खुले आसमान में पेड़ों के नीचे बच्चों की पढ़ाई शुरू हुई तो कुछ और शिक्षक इन नौनिहालों की मदद को साथ आये। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा के विषय में प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया गया तो बड़ी संख्या में लड़कियां आत्मरक्षा के गुर सीखने पहुंचने लगीं। बताया कि सिधौना गांव के गोमती नदी किनारे नाले पर खुद बच्चों ने साफ सफाई कर खेल का मैदान और दौड़ने के लिए ट्रैक बनाया। जहां से प्रशिक्षित लड़कियां और लड़के जिलास्तरीय प्रतियोगिता में अपना परचम लहरा चुके है। बताया कि आज 150 से अधिक लड़के-लड़कियां महाबोधि स्पोर्ट्स एजुकेशनल सेन्टर पर प्रतिदिन निःशुल्क प्राइमरी से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई और खेलकूद, योगा, आत्मसुरक्षा के गुर सीखते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर पुष्पेन्द्र कुमार इन अभावग्रस्त बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से सम्पन्न बना रहे हैं।



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