खुशखबरी! अब मिरेकल फीट बच्चों के लिए बनेगी वरदान, टेढ़े पंजे वाले मासूमों का करेगी मुफ्त उपचार





गाजीपुर। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत जिला अस्पताल में मिरेकल फीट इंडिया के सहयोग से संचालित क्लबफुट क्लीनिक का शुभारंभ हो चुका है। जिसमें जन्म से एक साल तक के बच्चों के टेढ़े पंजों (क्लबफुट) का निःशुल्क इलाज किया जाता है। ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ तपिश कुमार तथा डॉ कृष्ण कुमार के निर्देशन में प्रत्येक बुधवार को निःशुल्क इलाज किया जा रहा है। बुधवार को तीन बच्चों का निःशुल्क इलाज किया गया। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जनपदीय नोडल अधिकारी डॉ केके वर्मा ने बताया कि जिले में क्लब फुट से पीड़ित एक वर्ष से छोटे बच्चे अपने नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आरबीएसके टीम के सहयोग से संपर्क कर निःशुल्क सुविधा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। डॉ तपिश कुमार ने बताया कि बच्चे का इलाज जितना जल्दी संभव हो सकेगा उतना जल्दी बच्चे का पैर सामान्य हो जाएगा। इस प्रक्रिया में बच्चे को प्लास्टर पोंसेटी तकनीक द्वारा टेनोटॉमी की जाती है और फिर वह विशेष प्रकार के जूते पहनने के लिए तैयार हो जाते हैं। डॉ कृष्ण कुमार ने बताया कि क्लबफुट एक प्रकार की पैर से सम्बन्धित जन्मजात विकृति (जन्म के समय उपस्थित) होती है, जिसमें जन्म के समय से ही बच्चे का पैर उसके सामान्य आकार का नहीं होता है। दोनों पैर या एक पैर का पंजा अंदर की ओर मुड़ा होता है। यह नवजात शिशुओं में पायी जाने वाली सबसे आम विकृति है। बताया कि यह स्थिति सामान्य भी हो सकती है और कुछ परिस्थितियों में यह स्थिति गंभीर भी हो सकती है। यहां तक कि ये शिशु के एक पैर या दोनों पैरों में भी दिखाई दे सकती है। पैर की मांसपेशियों को पैर की हड्डियों से जोड़ने वाले टेंडेंस के छोटे और तंग होने के कारण यह विकृति होती है जिस कारण शिशु का पैर अंदर की तरफ मुड़ जाता है।इसका इलाज बच्चे के जन्म के 5-7 दिन बाद, बच्चे के पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद ही शुरू किया जा सकता है। बताया कि साप्ताहिक कास्टिंग का उपयोग करते हुए पैर के क्रमिक सुधार की इस प्रक्रिया को पोंसेटी तकनीकी कहा जाता है। स्थिति की गंभीरता के आधार पर, यह प्रक्रिया कुछ महीने लम्बी हो सकती है और इसमें विशेष जूते और ब्रेस के उपयोग की भी आवश्यकता होती है। मिरेकल फीट इंडिया के द्वारा निःशुल्क उपलब्ध है। कार्यात्मक, दर्द मुक्त, सीधे पैर और भविष्य में चलने में किसी प्रकार की परेशानी न होना ही इस इलाज की प्रक्रिया को करने का मुख्य उद्देश्य है। सही समय पर सही इलाज शीघ्र रिकवरी में सहायक होता है। प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव आनंद कुमार ने बताया कि मिरैकल फीट द्वारा अभी तक गाजीपुर जिला अस्पताल में 16 बच्चों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। इसमें से 13 बच्चों को निःशुल्क ब्रेस (विशेष प्रकार के जूते) दिए गए।



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