गोरखपुर : अपनी मां की पुण्यतिथि पर एसटीएस ने टीबी मरीजों को गोद लेकर लिया संकल्प, अब तक आधा दर्जन मरीजों की कर चुके हैं मदद
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गोरखपुर। अपने माता-पिता की पुण्यतिथि पर टीबी मरीजों को गोद लेकर उनको स्वस्थ बनाने में मदद करने का सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) अमित नारायण मिश्र का अभियान जारी है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एसटीएस अमित ने अपनी मां विजेश्वरी देवी की चौथी पुण्यतिथि पर बुधवार को दो अन्य नये टीबी मरीजों को गोद लिया। यह दोनों पल्मनरी (फेफड़ों की टीबी) के मरीज हैं। इससे पहले भी वह आधा दर्जन टीबी मरीजों को गोद लेकर उनकी मदद कर चुके हैं। एसटीएस द्वारा गोद ली गई 28 वर्षीय महिला टीबी मरीज और 46 वर्षीय पुरुष टीबी मरीज ने बताया कि उन्हें पोषण पोटली देकर नियमित दवा सेवन करने के लिए कहा गया है। अमित ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वह इलाज चलने तक उनका साथ देंगे और उन्हें यथासामर्थ्य आगे भी पोषण पोटली देते रहेंगे। निक्षय मित्र अमित का कहना है कि टीबी मरीजों को गोद लेकर स्वस्थ बनाने के उनके अभियान को विभाग और समाज से भी लगातार प्रोत्साहित किया जाता रहा है, जिससे उन्हें आत्मसंतोष मिलता है। अपनी क्षमता के अनुसार वह आगे भी टीबी उपचाराधीन मरीजों की मदद करते रहेंगे। जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि कोई भी व्यक्ति या संस्था स्वेच्छा से निक्षय मित्र बन सकता है। निक्षय मित्र बनने के बाद गोद लिये गये टीबी मरीज को यथा सामर्थ्य पोषक सामग्री देनी होती है। समय-समय पर मरीज का फॉलोअप करना होता है, ताकि बीच में दवा बंद न हो। टीबी मरीज की दवा बंद होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं और वह ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी मरीज बन सकता है, जिसका इलाज कठिन है। अगर निक्षय मित्र नियमित हालचाल लेते हैं तो टीबी मरीज का मनोबल बढ़ता है और समाज से उसके प्रति भेदभाव का भाव भी खत्म होता है। बेहतर कार्य करने वाले निक्षय मित्रों को स्वास्थ्य विभाग सम्मानित भी करता है। डॉ यादव ने बताया कि अगर लगातार दो सप्ताह तक खांसी आए, शाम को पसीने के साथ बुखार हो, सांस फूल रही हो, सीने में दर्द हो या बलगम में खून आए तो टीबी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। अगर समय से फेफड़े की टीबी (पल्मनरी टीबी) की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए तो उपचाराधीन मरीज से दूसरे लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी कम हो जाती है। जिले में इस समय सौ दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान चला कर उच्च जोखिम आबादी से नये टीबी मरीज खोजे भी जा रहे हैं।