गोरखपुर : ‘कुष्ठ पूर्व जन्म का पाप नहीं, ये कोई अभिशाप नहीं’, जिले में शुरू हुआ कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान





गोरखपुर। ‘अगर समय से कुष्ठ की पहचान कर उपचार शुरू कर दिया जाए तो इसके संक्रमण की आशंका कम हो जाती है। साथ ही मरीज के दिव्यांग होने का खतरा भी नहीं रहता है। इसके विपरीत गैर उपचाराधीन कुष्ठ रोगी खुद के लिए और समाज के लिए जटिलताएं बढ़ा सकता है। ऐसे में आवश्यक है कि हम किसी भी कुष्ठ रोगी से भेदभाव न करें और कुष्ठ के लक्षण वाले लोगों को शीघ्र जांच और इलाज के लिए प्रेरित करें।’ उक्त संदेश जिला कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के शुभारंभ के दौरान लोगों को दिया गया। सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे और जिला कुष्ठ निवारण अधिकारी डॉ गणेश यादव की देखरेख में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर हुए इस कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सहित कई अन्य सामाजिक संगठनों ने भी हिस्सा लिया। इसके बाद सभी लोगों को जिलाधिकारी का संदेश पढ़कर सुनाया गया और एक स्वर में सभी ने नारा लगाया कि ‘कुष्ठ पूर्व जन्म का पाप नहीं, यह कोई अभिशाप नहीं।’ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विकास सिंह ने कुष्ठ रोगियों में सहयोगी सामग्री का वितरण किया। वहीं सिद्धांत चौधरी ने मैजिक शो के जरिये भी लोगों को कुष्ठ के प्रति जागरूक किया। कहा कि शरीर पर कोई भी सुन्न, दाग, धब्बा, जो चमड़ी के रंग से हल्का हो, ये कुष्ठ भी हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर तुरंत जांच कराएं। जांच और सम्पूर्ण इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है। इस दौरान सीआरसी और प्रधानमंत्री दिव्य आशा केंद्र की टीम के सहयोग से कुष्ठ रोगियों में एडीएल किट और कीपैड मोबाइल भी वितरित किया गया। लेप्रोसी चैंपियन जय प्रकाश ने भी अपना अनुभव साझा किया। जिला कुष्ठ निवारण अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि कुष्ठ रोग माइक्रो बैक्टीरियम लेप्रे नामक जीवाणु के कारण होता है। यह अनुवांशिक रोग नहीं है और न ही पूर्व जन्म के पापों का फल, न कोई भूत-पिशाच व टोना - टोटका है। कहा कि कुष्ठ रोगी से भेदभाव करने की बजाय उसे प्रेरित करें कि वो अपना इलाज कराए। कहा कि नया कुष्ठ रोगी मिलने पर आसपास के 10 घरों में बचाव की दवा खिलाई जाती है। नया बाल कुष्ठ व दिव्यांग कुष्ठ रोगी मिलने पर शहरी क्षेत्र में 300 घरों में जबकि ग्रामीण क्षेत्र में पूरे गांव को बचाव की दवा खिलाने का प्रावधान है। जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में कुष्ठ के 1234 नये रोगी खोजे गए। इनमें से 1195 लोग इलाज के बाद इस बीमारी से मुक्त हो चुके हैं। इस समय 325 दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को पेंशन मिल रही है। पिछले पांच वर्षों के भीतर 25 कुष्ठ रोगियों की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कराई गई, 210 को फिंगर स्प्लिंट लगे, 368 सेल्फ केयर किट और 1076 एमसीआर किट बांटे गए हैं। इस दौरान जिला कुष्ठ कार्यालय समेत सभी अस्पतालों और सरकारी कार्यालयों में कुष्ठ उन्मूलन की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों ने महात्मा गांधी की फोटो पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर सीआरसी निदेशक जितेंद्र यादव, प्रधानमंत्री दिव्य आशा केंद्र की कंचन चौधरी, डिप्टी सीएमओ डॉ अनिल सिंह, मंडलीय कीट विशेषज्ञ वीके श्रीवास्तव, पीपीएम समन्वयक एएन मिश्रा, जिला कुष्ठ कार्यालय से डॉ आसिफ, महेंद्र चौहान, पवन श्रीवास्तव, रतनलाल, सुजीत सिंह, विनय आदि रहे। संचालन राजेश सिंह ने किया।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< गाजीपुर : सीएमओ ने स्पर्श कुष्ठ के प्रति जागरूकता की दिलाई शपथ, कुष्ठ रोगियों को इसके लिए विभाग देता है 8 हजार रूपए
देवकली : सीएचसी में शुरू हुआ कुष्ठ जागरूकता अभियान, लोगों को कुष्ठ को लेकर किया गया जागरूक >>