मधुमेह वाले टीबी मरीज रखें विशेष सतर्कता, दोनों दवाओं का नियमित सेवन करके दूर भगाएं टीबी - डीटीओ





गोरखपुर। जिन टीबी मरीजों में मधुमेह की भी दिक्कत है, उन्हें विशेष सतर्कता रखनी चाहिए। अगर मधुमेह नियंत्रित नहीं रहेगा तो टीबी मरीज को ठीक होने में दिक्कत होगी। ऐसे मरीजों को दोनों बीमारियों की दवा का सेवन नियमित रूप से करना होगा। उक्त अपील जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने विश्व मधुमेह दिवस पर की। उन्होंने बताया कि जिले में पिछले पांच वर्षों में चार फीसदी ऐसे टीबी मरीज निकले हैं, जो मधुमेह से भी ग्रसित थे। बताया कि प्रत्येक टीबी मरीज की मधुमेह जांच अनिवार्य तौर पर कराई जाती है। जांच में जिन मरीजों में मधुमेह की भी पुष्टि होती है, उन्हें इसके चिकित्सक को दिखा कर दवा शुरू करने की सलाह दी जाती है। लापरवाही करने पर मधुमेह की सहरूग्णता वाले टीबी मरीज अपेक्षाकृत धीरे-धीरे ठीक होते हैं और उनमें जटिलताओं की आशंका भी कहीं अधिक होती है, जबकि यह मरीज अच्छी दिनचर्या, संयमित खानपान और समय से टीबी और मधुमेह की दवा खाकर स्वस्थ हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2021 में प्रकाशित ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के अनुसार मधुमेह, टीबी के मामलों और टीबी की मृत्यु दर को प्रभावित करने वाले एक प्रमुख कारक है। यह टीबी की बीमारी के खतरे को दो से तीन गुना, इलाज के दौरान मौत की आशंका को दोगुना, इलाज पूरा होने के बाद दोबारा टीबी होने की आशंका को चार गुना और ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी होने की आशंका को दोगुना बढ़ा देता है। बताया कि अगर मधुमेह मरीज में दो सप्ताह से अधिक की खांसी, रात में पसीने के साथ बुखार, बलगम में खून आना और सीने में दर्द जैसे टीबी के लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराई जानी चाहिए। डीटीओ ने बताया कि मधुमेह मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उन्हें टीबी होने का जोखिम अधिक होता है। अगर उनमें टीबी का लक्षण दिखे तो त्वरित जांच करानी चाहिए। जिले में वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2023 तक 56604 टीबी मरीज निकले, जिनमें से 2448 मधुमेह से भी ग्रसित मिले।



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