सिधौना : गोमती नदी की बाढ़ का कटान क्या रोकेंगे, जब खुद को बाढ़ से ही नहीं बचा सके तेतारपुर व नुरूद्दीनपुर के तटबंध, लोगों में चर्चा
सिधौना। क्षेत्र के तेतारपुर व नुरूद्दीनपुर में गोमती नदी पर बने तटबंध पूरी तरह से निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हैं। आदिगंगा के नाम से प्रसिद्ध गोमती नदी गाजीपुर जिले में प्रवेश करते ही अपने घुमावदार प्रवाह से गौरी, गौरहट, तेतारपुर व नुरूद्दीनपुर में सैकड़ों एकड़ की उपजाऊ और रिहायशी इलाकों की जमीन को हर साल लील जाती है। जिसे रोकने के लिए तेतारपुर और नुरूद्दीनपुर में सीमेंटेड पोरपैंन के तटबंध बनाये गए है। तेतारपुर में छह माह पूर्व 61 लाख 6 हजार रुपये की लागत से बना 200 मीटर का तटबंध खुद को ढहने और बहने से नहीं रोक पाया। बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब जाने वाला ये तटबंध बाढ़ का पानी उतरते ही जीर्ण शीर्ण अवस्था में आ गया। एमएलसी विशाल सिंह चंचल के प्रयास से बनाये गए इस तेतारपुर के तटबंध निर्माण में शुरू से ही अनियमितता दिखाई देने लगी थी। जिसे दुरुस्त कराने के लिए एमएलसी प्रतिनिधि प्रदीप पाठक ने स्थलीय निरीक्षण करके कार्यदायी संस्था को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया था। लेकिन लापरवाही और बेतरतीब ढंग से बने ये पोरपैंन तटबंध नदी के जलप्रवाह से खुद को बचाने में अक्षम साबित हुए और जमीनों को कटान से रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। इसी तरह नुरूद्दीनपुर गांव के रिहायशी इलाके को बचाने के लिए आयुष राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्रा के अथक प्रयास से गोमती नदी पर नुरूद्दीनपुर में 1 करोड़ 16 रूपए लाख की लागत से बना पोरपैंन तटबंध भी बेकार साबित हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि तटबंध बनाने के बावजूद अभी तक गोमती नदी में कटान से होने वाले नुकसान का खतरा बना हुआ है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद इस तटबंध के हालत किसी कटान को रोकने लायक नहीं हैं।