अभियान के अंतिम दिन मंडलीय कारागार के जेलर सहित बंदियों ने खाई फाइलेरिया से बचाव की दवा, पुलिस लाइन में सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने भी खाई दवा





गोरखपुर। फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने से जुड़े सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के अंतिम दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मंडलीय कारागार पहुंच कर जेलर एके कुशवाहा और बंदियों को दवा खिलाया। इससे पहले टीम ने पुलिस लाइन में सैकड़ों पुलिसकर्मियों को भी इस दवा का सेवन कराया। जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि अभी भी यह दवा निकटतम स्वास्थ्य केंद्रों पर और आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क कर खा सकते हैं। इसके लिए इस हफ्ते मॉप अप राउंड चलाया जाएगा। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ राजेश की अगुआई में मेडिकल टीम सबसे पहले पुलिस लाइन गई। टीम में शामिल सहायक मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे और सहयोगी सुरेंद्र ने पुलिसकर्मियों को दवा का सेवन कराया। पुलिस लाइन के चिकित्सक डॉ अश्विनी वर्मा और आरआई हरिश्चंद्र सिंह ने सभी को दवा खाने के लिए प्रेरित किया। मेडिकल टीम ने फाइलेरिया बीमारी, इसके लक्षण और बचाव के लिए दवा सेवन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके बाद यही टीम मंडलीय कारागार पहुंची। वहां जेलर एके कुशवाहा और जेल के चिकित्सा अधिकारी डॉ वीके राय ने टीम का स्वागत किया। जेलर ने बंदियों को बताया कि वह खुद दो वर्षों से इस दवा का लगातार सेवन कर रहे हैं। यह पूरी तरह से सुरक्षित है और फाइलेरिया से बचने के लिए यह दवा अवश्य खानी चाहिए। यह दवा खाली पेट नहीं खानी है। जेलर ने पहले खुद दवा खाई और फिर उनसे प्रेरित होने के बाद सैकड़ों बंदियों ने पंक्तिबद्ध होकर दवा का सेवन किया। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के दिशा निर्देशन में पिछले वर्ष भी पुलिस लाइन और मंडलीय कारागार में फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई गई थी। यह दवा दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को खानी है। सिर्फ गर्भवती और अति गंभीर बीमार मरीजों को यह दवा नहीं खिलाई जाती है। शुगर, बीपी, थाइराइड, कोलेस्ट्राल आदि बीमारियों के मरीज दवा खा सकते हैं। बुखार के रोगी भी दवा खा सकते हैं। सिर्फ कैंसर व हृदय के जटिल रोगी दवा नहीं खाएंगे। बताया कि दवा सेवन के बाद कुछ लोगों को हल्की उल्टी, मितली, चक्कर आना और सिरदर्द जैसी दिक्कतें होती हैं। यह तब होता है जब दवा खाने के बाद शरीर में माइक्रो फाइलेरी मरते हैं और पूरा शरीर बीमारी के संक्रमण से मुक्त हो रहा होता है। यह दवा अगर पांच साल तक लगातार साल में एक बार खाई जाए तो संक्रमण से मुक्ति मिलेगी और बीमारी के लक्षण नहीं आएंगे। जब ज्यादा से ज्यादा लोग इस दवा का सेवन कर लेंगे तो बीमारी के संक्रमण का चेन भी टूट जाएगा। क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी में संक्रमण के पांच से पंद्रह वर्ष बाद हाथ, पैर, स्तन व अंडकोष में सूजन जैसे लक्षण आते हैं जो पूरी तरह से ठीक नहीं होते हैं। इसलिए साल भर में एक बार बचाव की दवा जरूर खाएं।



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