सैदपुर तहसील के पूर्व बाबू के लाखों रूपए गबन करने का खुलासा, 3 चाय विक्रेताओं को बनाया बकरा, पहले भी हो चुका है निलंबित





सैदपुर। स्थानीय तहसील में लंबे समय से जमकर जबरदस्त भ्रष्टाचार करने वाले बाबू के भ्रष्टाचार का जिन्न उसके यहां से अन्य तहसील पर स्थानांतरण के बाद भी सैदपुर तहसील का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है। पूर्व में भी भ्रष्टाचार के मुकदमे में जेल जाकर कानूनी रूप से नौकरी की बहाली पाने वाले भ्रष्टाचारी बाबू के स्थानांतरित होने के बाद उसके द्वारा किए गए बड़े गबन का अब जाकर खुलासा हुआ है, जिसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर सैदपुर के तहसीलदार ने उक्त बाबू सहित कुल 4 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। जिसके बाद पुलिस तत्काल हरकत में आ गई और इसमें आरोपी दो चाय विक्रेताओं को हिरातस में लेकर जांच में जुट गई है। स्थानांतरण के बाद वर्तमान में सेवराई तहसील में कार्यरत मोहम्मद शकील सैदपुर तहसील में बहुत ही लंबे समय से बाबू के पद पर कुंडली मारकर बैठा था और नजारत का काम देखता था। इसके बाद सैदपुर तहसील से स्थानांतरण के पूर्व मालखाने का काम देखने लगा। इस बीच उसने जमकर भ्रष्टाचार किया। वर्ष 2021 में भी उसने जमकर भ्रष्टाचार किया था, जिसका खुलासा हुआ तो पता चला कि उसने सरकार वाहनों में तेल भराने के लिए फर्जी हस्ताक्षर करके लाखों रूपए का गबन किया था। उस मामले का खुलासा होने पर डीएम के आदेश पर तत्कालीन तहसीलदार नीलम उपाध्याय ने उसके व एक पंपकर्मी के खिलाफ के मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उसे निलंबित कर दिया गया था। लेकिन कोर्ट के जरिए उसकी बहाली हो गई। इसके बाद उसका स्थानांतरण यहां से हो गया। जिसके बाद यहां पर अन्य कर्मचारी आए तो उसके एक नए व लाखों रूपए के घोटाले का खुलासा हुआ। पता चला कि उसके द्वारा लाखों रूपए के सरकारी धन का गबन किया गया है। नगर के डाक बंगले में वीआईपी के आने पर नाश्ता सहित अन्य खाने पीने की व्यवस्था होती है। जिसके लिए वहीं के 3 चाय विक्रेताओं द्वारा डाक बंगले में चाय आदि पहुंचाया जाता था। जब रूपया देने की बारी आती थी तो बाबू शकील द्वारा करीब 20 से 50 हजार रूपए तक के चेक उन चाय विक्रेताओं को दिए जाते थे। वो चाय विक्रेता उस सरकारी चेक को अपने खाते में भुना लेते थे और अपने चाय आदि का रूपया काटकर बाकी के रूपए शकील को दे देते थे। जिसका शकील गबन कर लेता था। इस बात का खुलासा नहीं हो सका, जिसके चलते वो बचा रहा और इस तरह का चेक उसने करीब 15 माह में न जाने कितनी बार किया और लाखों रूपए का गबन किया। इसके बाद उसका स्थानांतरण सेवराई तहसील में हो गया और किसी अन्य अधिकारी की नजर जब इस तरह की अनियमितता पर हुई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ तो अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए। तत्काल इस बात की सूचना तहसीलदार देवेंद्र यादव ने जिलाधिकारी आर्यका अखौरी को दी तो उन्होंने तत्काल उसके सहित चेक को भुनाने वाले तीनों चाय विक्रेताओं के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया तो तहसीलदार की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और कोतवाल विजय प्रताप सिंह ने इस मामले में जांच शुरू करते हुए सगे भाई दो चाय विक्रेताओं को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी और बैंक ऑफ बड़ौदा में जाकर उनके खातों के स्टेटमेंट निकालकर इस बात का पड़ताल किया कि उनके खातों में आखिर कितने रूपए के सरकारी चेक जमा हुए हैं। बहरहाल, ये भी बताया जा रहा है कि गबन की गई रकम 20 लाख रूपए से भी पार जा सकती है। वहीं इस घटना के बाद तहसील में भी चर्चा है कि उक्त बाबू भ्रष्टाचार का लती हो चुका था और बिना रूपए के तो किसी का काम ही नहीं करता था। यहां तक कि सस्पेंड होने व दोबारा नौकरी पर बहाल होने के बावजूद उसने अपनी ये आदत नहीं छोड़ी। जिसके चलते आज सैदपुर तहसील का नाम बदनाम हुआ है। बता दें कि उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद प्रशासन द्वारा अब उसे निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी।



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