बदलते मौसम में रखें कुष्ठ रोगी का विशेष ध्यान, कैंप में हुआ दिव्यांग कुष्ठ रोगियों का संवेदीकरण
गोरखपुर। गर्म और शुष्क मौसम में दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को अपने प्रभावित अंगों का विशेष ध्यान रखना होगा। इस मौसम में कुष्ठ प्रभावित अंग की चमड़ियां सूखने लगती हैं, जो कई बार घाव का भी रूप ले लेती हैं और जटिलताएं बढ़ जाती हैं। अगर सही से देखभाल की जाए तो यह स्थिति नहीं बनने पाती है। यह जानकारी जिला कुष्ठ निवारण अधिकारी डॉ गणेश यादव ने दी। वह चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर बुधवार को आयोजित प्रिवेंशन ऑफ डिफार्मिटी (पीओडी) कैम्प को सम्बोधित कर रहे थे। कैम्प में तीस दिव्यांग कुष्ठ रोगियों का संवेदीकरण किया गया। बताया कि कुष्ठ रोगी को अपने प्रभावित अंग को एक टब में सामान्य पानी में आधे घंटे तक रखना है। उसके बाद हाथ से थपकी देकर प्रभावित अंग को सुखाना है। ध्यान रहे कि अंग को किसी भी कपड़े से रगड़ना नहीं है। इसके बाद प्रभावित अंग पर नारियल या सरसो का तेल लगाना है। सोते समय प्रतिदिन एक बार प्रभावित अंग को अवश्य देखना है कि कहीं कोई घाव तो नहीं है। अगर किसी प्रकार का घाव है तो चिकित्सक को दिखाना है। जिले में करीब 400 दिव्यांग कुष्ठ रोगी हैं। सभी को अपना खास ख्याल रखना है। डॉ यादव ने बताया कि कुष्ठ से दिव्यांग हुए रोगियों को 3000 रुपये प्रति माह पेंशन की सुविधा का प्रावधान है। कुष्ठ के कारण टेढ़ी हुई अंगुलियों की सर्जरी भी सरकारी प्रावधानों के अनुसार प्रयागराज भेज कर कराई जाती है। सर्जरी के मरीज को 8000 रुपये श्रम ह्ास के लिए भी दिये जाते हैं। कुष्ठ के लक्षणों को देखने के बाद भी त्वरित इलाज न लेने से ही यह दिव्यांगता का रूप ले लेता है। अगर शरीर पर कहीं भी सुन्नपन, धाग या धब्बा हो जो चमड़े के रंग से हल्का हो तो सरकारी अस्पताल पर जाकर तुरंत जांच करानी चाहिए। सरकारी अस्पताल में दवा, जांच और इलाज सब कुछ सरकारी प्रावधानों के तहत होता है, जबकि निजी अस्पताल में इसके लिए औसतन तीन हजार रुपये प्रति माह खर्च हो जाते हैं। इस मौके पर जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता, कंसल्टेंट डॉ चंद्रमणि, राज्य कुष्ठ पुनर्वास समन्वयक विपिन सिंह, नान मेडिकल असिस्टेंट विनय कुमार श्रीवास्तव, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार, महेंद्र चौहान, फिजियोथेरेपिस्ट आसिफ खान आदि रहे।