बीमार नवजात को त्वरित चिकित्सा देने में मददगार है एनबीएसयू, जिले के 5 केंद्रों पर एक साल में भर्ती हुए 402 नवजात





गोरखपुर। जन्म से लेकर 28 दिन तक बच्चे की अवस्था को नवजात कहा जाता है और बीमारियों व संक्रमण की दृष्टि से यह अवस्था बेहद संवेदनशील होती है। इस अवस्था में अगर बच्चे में किसी भी प्रकार की बीमारी हो और त्वरित चिकित्सा मिल जाए तो उसके जीवन की रक्षा हो जाती है। इससे शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है। इस कार्य में अहम भूमिका निभा रहे हैं जनपद के पांच स्वास्थ्य इकाइयों पर सक्रिय न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू), जहां वित्तीय वर्ष 2022-23 की अवधि में 402 बच्चों को भर्ती कराया गया। इन बीमार नवजात में से 197 बच्चे चिकित्सा इकाइयों से ही ठीक हो गये, जबकि 205 बच्चों को उच्च चिकित्सा संस्थानों में भेज कर उनके जीवन की रक्षा की गयी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में सहजनवां, बांसगांव, जंगल कौड़िया, कैम्पियरगंज और पिपराईच सीएचसी पर एनबीएसयू संचालित किया जा रहा है। इन इकाइयों पर प्रशिक्षित स्टॉफ नर्स तैनात की गयी हैं, जो अलग-अलग शिफ्ट में बीमार नवजात की देखभाल करती हैं। समय-समय पर चिकित्सक भी इन नवजात के स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं। अगर एनबीएसयू से कोई बच्चा रेफर किया जा रहा है तो उसके अभिभावकों को 102 नम्बर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है। अधीक्षक डॉ मणि शेखर का कहना है कि एनबीएससीयू सम्बन्धित जो भी दिशा निर्देश मिलते हैं उनका पालन कराया जाता है। सहयोगी संस्थाएं यूनिसेफ और यूपीटीएसयू की मदद से भी इस इकाई की सेवाएं सुदृढ़ की जाती हैं। जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ सूर्यप्रकाश का कहना है कि एनबीएसयू में कार्य करने वाली नर्सेज को समय समय पर प्रशिक्षित किया जाता है और नवजात की देखभाल की नवीनतम जानकारी दी जाती है। जिले में सबसे ज्यादा 60 बच्चे पिपराईच के एनबीएससीयू में ही स्वस्थ हो गये। कैम्पियरंगज में 56 और सहजनवां में 55 बच्चे इकाई से ही स्वस्थ होकर घर ले जाए गये।



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