बुखार हो तो जरूर जाएं अस्पताल जाएं, किसी लक्षण को नहीं छिपाने की अपील, 17 अप्रैल से हर घर पर दस्तक दे रही टीमें
गोरखपुर। सर्दी, खांसी,जुकाम और बुखार जैसी कोई भी दिक्कत हो तो तुरंत अस्पताल जाएं। अपनी पूरी बात चिकित्सक को बताएं। इसी संदेश के साथ जिले में 17 अप्रैल से दस्तक पखवाड़ा चल रहा है। इसके तहत आशा और आंगनबाड़ी की टीम घर घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। लोगों को बीमारियों से बचाव, मच्छरों की रोकथाम, हीट वेव से बचाव और कुपोषण से बचाव के बारे में जानकारी दी जा रही है। साथ ही शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों वाले घरों पर जन जागरूकता के स्टीकर चिपकाए जा रहे हैं। चरगांवा ब्लॉक की बड़ी रेतवहिया निवासी तारा देवी बताती हैं कि आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उनके गांव में प्रतदिन भ्रमण कर रही हैं। साफ सफाई के बारे में बताती हैं और मच्छरों से बचने के उपाय सिखाती हैं। उनके घर में तीन छोटे बच्चे हैं, इसलिए आशा कार्यकर्ता चंदा ने घर के बाहर स्टीकर लगाया और समझाया कि बच्चों को बुखार आए तो सरकारी अस्पताल में ही जाना है। तीन वर्षीय नातिन को बुखार था तो चंदा की सलाह पर ही हैदरगंज के सरकारी अस्पताल से दवा करायी गयी। अब वह ठीक है। शहरी बाल विकास परियोजना से जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शमा परवीन और रागिनी जायसवाल बताती हैं कि जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार आशा कार्यकर्ता के साथ प्रतिदिन 25 घर का भ्रमण करना है। कुपोषित बच्चों को चिन्हांकित कर उनके अभिभावकों को खानपान की जानकारी दी जा रही है। कुपोषित बच्चों व बीमार लोगों की सूची आशा कार्यकर्ता के स्तर से बना कर उच्चाधिकारियों को दी जा रही है। प्रतिदिन के गतिविधियों की तस्वीर मुख्य सेविका के माध्यम से सीडीपीओ महेंद्र कुमार के पास भी प्रेषित करना होता है। जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे और वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी के दिशा निर्देशन में संचारी रोग नियंत्रण अभियान और दस्तक पखवाड़ा चल रहा है। इस दौरान आशा के प्रमुख दायित्वों में क्षेत्रवार ऐसे मकानों की सूची तैयार करना भी है जहां मच्छरों का प्रजनन अधिक मिल रहे हैं। पंचायती राज और नगर निकाय विभाग के साथ मिल कर ऐसे स्थानों पर मच्छरों के प्रजनन स्रोत नष्ट कराए जाते हैं। घर के भीतर मच्छरों के स्रोत नष्ट करने के लिए आशा लोगों को प्रेरित कर रही है। आशा को सम्पूर्ण दस्तक अभियान के लिए 200 रुपये दिये जाएंगे। इसके अलावा अगर आशा के प्रयासों से जापानीज इंसेफेलाइटिस का एक रोगी कंफर्म होता है तो 250 रुपये का अतिरिक्त भुगतान होगा। वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम की कंसल्टेंट डॉ सिद्धेश्वरी सिंह बताती हैं कि अगर आशा कार्यकर्ता संभावित मलेरिया रोगी की स्लाइड बनाती है या आरटीडी किट से जांच करती है तो 15 रुपये देने का प्रावधान है। अगर रोगी मलेरिया धनात्मक मिलता है तो इलाज पूरा होने व तीसरे, सातवें व चौदहवें दिन फॉलो अप करने पर 200 रुपये के भुगतान का प्रावधान है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि आशा कार्यकर्ता को दस्तक पखवाड़े के दौरान बुखार के रोगियों, इन्फ्लुएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) रोगियों, संभावित क्षय रोगियों, कुपोषित बच्चों और मच्छरों के प्रजनन स्रोत वाले घरों की सूची क्षेत्रीय एएनएम से साझा करनी है। एएनएम के माध्यम से सूची ब्लॉक पर आएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।