फूड प्वाइजनिंग के मरीजों के लिए वरदान बनी एम्बुलेंस, समय से अस्पताल पहुंचने से बची जान





गोरखपुर। फूड प्वाइजनिंग के शिकार मरीजों के लिए 102 और 108 नम्बर की एम्बुलेंस रविवार की रात वरदान साबित हुई। इस दौरान इसके शिकार 12 लोगों को सीएचसी, जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचाकर उनकी जान बचाई गई। पिपराईच क्षेत्र के एक निजी मैरेज हाउस में हुए एक समारोह में मिठाई खाने के बाद 50 से अधिक लोग फूड प्वाइजनिंग के शिकार हो गये थे। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रबन्धन का बेहतर प्रभाव भी नजर आया। सीएमओ के स्तर से एसीएमओ डा नंद कुमार और अधीक्षक को मौके पर भेजने के अलावा बीआरडी मेडिकल कालेज एवं जिला अस्पताल से समन्वय स्थापित कर इलाज की अग्रिम व्यवस्था कराई गयी। पिपराईच सीएचसी के अधीक्षक डॉ मणि शेखर ने बताया कि एम्बुलेंस से और कुछ लोग निजी साधन से सीएचसी आए थे। कुल 51 लोगों को सीएचसी पर प्राथमिक चिकित्सा दी गयी। दो लोग सामान्य इलाज के बाद ठीक होकर घर चले गये, जबकि 20 लोगों को जिला अस्पताल व 29 लोगों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। मरीजों को सीएचसी तक लाने और उच्च चिकित्सा संस्थानों तक भेजने में 108 और 102 नम्बर एम्बुलेंस का सहयोग लिया गया। सिद्धार्थनगर जनपद के डुमरियागंज कस्बे के रहने वाले धर्मेंद्र (24) ने बताया कि उन्होंने पिपराईच सीएचसी से एम्बुलेंस को कॉल किया था। काफी कम समय में एम्बुलेंस पहुंच गयी और चार मरीजों को उनके सामने मेडिकल कॉलेज लेकर गयी। जिन लोगों को अस्पताल ले जाया गया, वह सभी लोग गोरखपुर शहर के हुमायूंपुर के रहने वाले थे और पिपराईच में समारोह में शामिल होने गये थे। एम्बुलेंस सेवा का संचालन कर रही संस्था ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विस के प्रोग्राम मैनेजर अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में 102 नम्बर की 50 और 108 नम्बर की 46 एम्बुलेंस कार्य कर रही हैं। किसी भी बीमारी की आकस्मिकता, दुर्घटना, सर्पदंश जैसे मामलों में 108 नम्बर की सेवा दी जाती है। जबकि गर्भवती, नवजात, प्रसूता के लिए 102 नम्बर की सेवा दी जाती है। यह एक बड़ी घटना थी, इसलिए दोनों प्रकार के एम्बुलेंस मुहैय्या कराए गये। इस सम्बन्ध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे से जो भी दिशा-निर्देश मिले उनका ससमय पालन किया गया।



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