शुरू हुआ 48वां मानस सम्मेलन, भोपाल से आईं साध्वी का संगीतमय प्रवचन सुनकर भक्तिरस में झूमे श्रद्धालु





देवकली। स्थानीय ब्रह्म स्थल परिसर में 48वें सात दिवसीय मानस सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। जिसमें एमपी के भोपाल से आईं साध्वी रत्नमणि संगीतमय प्रवचन किया। कहा कि रामचरित मानस एक आदर्श ग्रन्थ है। ये विश्व भर में पूज्य है। इसके सभी पात्र आदर्श बातों से परिपूर्ण हैं। कहा कि भाई से भाई, पिता-पुत्र, सास-बहू, मित्र से मित्र व पति-पत्नी का संबंध कैसा होना चाहिए, इन सभी बातों की सम्पूर्ण शिक्षा इस ग्रंथ से मिलती है। कहा कि ये सभी लोगों के लिए अनुकरणीय है। साध्वी ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने संत-असंत दोनों की वंदना की है। कहा कि सभी लोग सुख चाहते हैं। लेकिन महारानी कुन्ती ने श्रीकृष्ण से दुःख मांगा। श्रीकृष्ण ने पूछा कि ऐसा क्यों तो वो बोलीं कि सुख में लोग आपको कम याद करते हैं, परन्तु दुःख में आपको हमेशा याद करते है। सती पर चर्चा करते हुए कहा कि सीता हरण के पश्चात भगवान शिव माता सती के साथ जंगल में विचरण कर रहे थे। सामना होने पर भगवान शिव ने भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को प्रणाम किया तो सती को भ्रम हो गया। बार-बार समझाने के बाद भी नहीं मानीं तो भगवान शिव ने कहा जाकर परीक्षा ले लो। सती ने माता सीता का रुप बनाकर परीक्षा लिया। जिसके बाद पुनः सती के रूप में जाने के बावजूद भगवान शिव उन्हें स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद उन्हें शरीर का त्याग करना पड़ा। इस मौके पर अर्जुन पाण्डेय, सोनू वर्मा, अवधेश मौर्य, रामनरेश मौर्य, पंकज बरनवाल, नरेन्द्र कुमार मौर्य आदि रहे। अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन अरविन्द लाल श्रीवास्तव ने किया। बताया कि प्रवचन का कार्यक्रम रोजाना सांय 4 बजे से रात 8 बजे तक चलेगा। समापन 10 दिसंबर को होगा।



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