निराश हो चुके बच्चों के जीवन की दिशा बदल रहा है आरबीएसके, निःशुल्क सर्जरी तक की है व्यवस्था





गोरखपुर। सरकार की महत्वकांक्षी योजना आरबीएसके योजना मरीजों के जीवन को रोशन कर रही है। सरदारनगर ब्लॉक के बिलारी गांव की निवासी कमलावती बताती हैं कि अगर उन्हें योजना की पहले से जानकारी रही होती तो उनके लाखों रुपये बच जाते। उन्होंने बच्चे के दिल के छेद का इलाज छत्तीसगढ़, हरियाणा और नई दिल्ली में रहकर कराया और लाखों रुपये खर्च किये। आखिर में थककर गांव लौट आए। बच्चे को एक महीने की उम्र में ही बुखार बना रहता था। 102 डिग्री तक बुखार चढ़ जाता था और उसी समय चिकित्सक ने बता दिया कि उसके दिल में छेद है। जब हर जगह इलाज करवाकर थक गये तो आरबीएसके योजना ने उनके जीवन में रोशनी बिखेर दी। अलीगढ़ में निःशुल्क सर्जरी के बाद कमलावती का छह वर्षीय बच्चा अब एकदम ठीक है। अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ हरिओम पांडेय ने काफी मदद की। इसी ब्लॉक के बिशुनपूरवा बाबू गांव के रामलखन की चार वर्षीय बच्ची को जन्मजात एनोरेक्टल मालफार्मेशन यानी बच्चों में मलद्वार न होने की समस्या थी। वह बताते हैं कि पैदा होने के बाद जब उनकी बच्ची की समस्या पता चली तो उन्होंने कई निजी चिकित्सकों से इलाज कराया। इसमें 10 से 12 हजार रुपये खर्च हुए। वह बताते हैं कि आरबीएसके टीम उनकी बच्ची को सरकारी गाड़ी से बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले गयी। वहां बच्ची की निःशुल्क सर्जरी हुई। एक और सर्जरी के लिए मेडिकल कॉलेज बुलाया गया है। डॉ रेनू कुशवाहा की देखरेख में इलाज चल रहा है। वह बताते हैं कि गरीबी में डॉ क्रांति ज्योति लक्ष्मी, डॉ शाहनवाज, स्टॉफ नर्स संगीता यादव और नेत्र परीक्षक अरूण यादव की टीम ने उनकी काफी मदद की और उनकी बच्ची की तबीयत में सुधार हो रहा है। कमलावती और रामलखन तो सिर्फ बानगी भर हैं। ऐसे अनगिनत मामले हैं जिनके बच्चे आरबीएसके योजना से लाभान्वित होकर स्वस्थ जिंदगी जी रहे हैं। नोडल अधिकारी डॉ नन्द कुमार ने बताया कि योजना के तहत जिले में वर्ष 2016 से अबतक 393 सर्जरी की गई है। क्लब फुट, सीएचडी, क्लब पैलेट और कॉक्लियर इंप्लांट जैसी सर्जरी भी योजना का हिस्सा हैं। आरबीएसके योजना की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने बताया कि योजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक में दो टीम स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बाल मरीजों की स्क्रिनिंग करती है और उन्हें इलाज एवं सर्जरी की सुविधा उपलब्ध करवाती है। कुल 44 प्रकार की बीमारियों का निःशुल्क इलाज होता है। इसमें 13 प्रकार की निःशुल्क सर्जरी भी शामिल है। सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि अगर बच्चा लगातार बीमार है या किसी बीमारी से ग्रसित है तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा कार्यकर्ता की मदद से आरबीएसके टीम से सम्पर्क करें। हर ब्लॉक में दो मोबाइल टीम कार्यरत हैं। इनकी मदद से बच्चों के जीवन की दशा व दिशा बदल रही है।



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