अगर परमात्मा तक आसानी से पहुंचना है तो सबसे आसान मार्ग है ध्यान - महंथ शत्रुघ्न दास
जखनियां। क्षेत्र के सिद्धपीठ भुड़कुड़ा को सतनामी सन्त परम्परा की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में भारत वर्ष में जाना जाता है। इसी परम्परा से जुड़े गुरु घासीदास की जन्म जयंती के अवसर पर देशभर से सतनामी परम्परा के सन्तों, अनुयायियों और सन्त-साहित्य के अध्येताओं का जुटान सोमवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ। जिसमें भुड़कुड़ा मठ के पीठाधीश्वर महन्थ शत्रुघ्नदास महाराज ने ‘सतनामी सन्तों का जीवन दर्शन‘ विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए ध्यान को परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग बताया। कहा कि मनुष्य अगर ध्यान की गहराई में उतरने का अभ्यास आरम्भ कर दे तो वो धनात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाएगा। उसके भीतर की सारी नकारात्मकता स्वतः समाप्त हो जाएगी। कहा कि बूला, गुलाल और भीखा साहेब ने ध्यान की गहराई में उतरकर परम तत्व को प्राप्त किया। भुड़कुड़ा के सन्तों और गुरु घासीदास ने अपने जीवनकाल में समाज को निराकार का बोध कराकर दिशा देने का प्रयास किया। गुरु घासीदास ने भी आत्म राम की खोज की और आनंद प्राप्त किया। कहा कि सतनामी पंथ वाह्य आडंबर का परित्याग कर भीतर की यात्रा को महत्व देता है। कार्यक्रम को प्रो. राजेश रांझा, प्रो डीएन खूंटे, महन्थ कमलेश दास ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. सुशील त्रिवेदी व संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जेआर सोनी ने किया। पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केशरीलाल वर्मा ने सभी का आभार ज्ञापित किया।