धरती पर आने का मूल उद्देश्य भूल बैठा है मनुष्य, यही है मानव दुःखों के कारण - मानस चातकी





देवकली। मानस परिषद देवकली के तत्वावधान में 47वें मानस सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसके पहले दिन अयोध्या से आई मानस चातकी वैदेही ने संगीतमय प्रवचन किया। कहा कि मानव जीवन क्षणभंगुर है। ये आज है और कल रहेगा या नहीं, इस बात की कोई गारंटी नहीं है। कहा कि संत इस धराधाम पर अपनी इच्छा से नहीं आते, बल्कि परमात्मा उन्हें अपने दूत के रूप में भेजते हैं। वो चुनी हुई आत्माओं को इकट्ठा करके उन्हें उपदेश देते हैं। ताकि वो जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो सके। कहा कि संत जीव व परमात्मा के बीच सेतु का काम करते हैं। कहा कि जीव इस धराधाम पर क्यों आया, क्या कर रहा है और आने का क्या उदेश्य है? वो अपने मूल उदेश्य को भूल बैठा है और यही उसके समस्त दुःखों का मूल कारण है। कहा कि कमल की जड़ें पानी में रहती हैं लेकिन उसका फूल हमेशा ऊपर रहता है। उसी प्रकार माया रुपी संसार में रहते हुए भी माया से अलग रहना चाहिए। इस मौके पर परिषद के अध्यक्ष प्रभुनाथ पाण्डेय, डॉ. उमेश यादव, रामनरेश मौर्य, दयाराम गुप्ता, लालबिहारी शर्मा, अर्जुन पाण्डेय, नरेन्द्र कुमार मौर्य, पवन वर्मा, राजनाथ गुप्ता आदि रहे। संचालन अरविंद लाल श्रीवास्तव ने किया।



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