बाढ़ पीड़ितों को बाढ़जनित बीमारियों से बचाने को 83 मेडिकल टीमें जुटीं, लोगों के साथ हैंडपंपों का भी हो रहा उपचार
गोरखपुर। जिले के 125 गांवों की बाढ़ प्रभावित आबादी को बीमारियों से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम नियमित भ्रमण कर रही है। स्वास्थ्य विभाग की 83 टीम लोगों की सहायता के लिए लगाई गयी हैं। प्रत्येक टीम में चिकित्सक समेत चार स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं। इन टीमों के जरिये 5616 लोगों की जांच कर बुखार और उल्टी दस्त की दवाएं वितरित की जा चुकी हैं और आगे भी चिकित्सकीय जांच और दवा वितरण का कार्य जारी रहेगा। बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. एके चौधरी ने बताया कि इन इलाकों में कुल 62 हजार 681 क्लोरिन के टेबलेट वितरित किये गये हैं। बताया कि 20 लीटर पानी में एक टेबलेट का घोल बना कर दो घंटे बाद सेवन करने से डायरिया से सुरक्षित रहेंगे। बताया कि 12 हजार 970 हैंडपंपों का क्लोरिफिकेशन किया गया है ताकि लोगों को साफ-सुथरा पेयजल मिल सके। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 13 हजार 314 अदद ओआरएस के पैकेट वितरित किये गये हैं और लोगों को बताया गया है कि उल्टी-दस्त होने की दशा में ओआरएस के घोल का सेवन अवश्य किया जाए। उन्होंने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से सहायक रतनलाल सभी टीम से कोआर्डिनेट कर रहे हैं। डॉ. चौधरी ने बताया कि मेडिकल टीम में एक चिकित्सक, एक स्वास्थ्यकर्मी, आशा और आंगनबाडी कार्यकर्ता को रखा गया है। यह टीम राहत शिविरों और बाढ़ चौकियों का दौरा कर रही है। जिन लोगों को किसी भी प्रकार के बुखार की दिक्कत है, वह आशा कार्यकर्ता के जरिये टीम की सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि बुखार, उल्टी, दस्त होने पर अपने मन से दवा न खाएं। मेडिकल टीम से सलाह और निःशुल्क दवा प्राप्त कर सेवन करें। बताया कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में डायरिया और मच्छरजनित बीमारियों का खतरा बाढ़ का पानी उतरने के साथ बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को बुखार के प्रति खासतौर से सतर्कता बरतनी है। अगर किसी भी किस्म का बुखार हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें। बताया कि बरसात के मौसम और बाढ़ के कारण सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसे देखते हुए प्रत्येक सीएचसी और पीएचसी पर 20-20 वॉयल एंटी स्नेक वेनम भी रखवा दिया गया है। ऐसे में अगर किसी के साथ सर्पदंश की घटना होती है तो झाड़ फूंक करने की बजाय सीधे अस्पताल जाएं।