मौसम विभाग को न समझ पाने वाले निरक्षरों के लिए आज भी प्रासंगिक होती है कवि घाघ की ये भविष्यवाणियां



बिंदेश्वरी सिंह की खास खबर



खानपुर। आषाढ़ माह की शुरुआत हो गई और आषाढ़ की बारिश किसानों के कृषिकार्य और आम जनमानस के लिए बड़ा महत्वपूर्ण होता है। भारतीय किसान और ग्रामीण सैकड़ों वर्षों से बरसात और मौसम का पूर्वानुमान महान कृषि विज्ञानी और भविष्यवक्ता कवि घाघ के कवितावली के माध्यम से जानते और समझते रहे हैं। भारत कृषि प्रधान देश है और बरसात कृषि का मुख्य आधार है। समुचित वर्षा होने पर ही अन्न की उपज ठीक से हो सकती है। अतः वर्षा कब होगी या नहीं होगी, कितनी मात्रा में होगी इसका ज्ञान होना कृषिकार्य के लिए बहुत आवश्यक है। ‘आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान, कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान पिसान’, यानी आर्द्रा नक्षत्र के आरंभ और हस्त नक्षत्र के अंत में वर्षा न हुई तो ऐसी दशा में किसान पिस अर्थात बर्बाद हो जाता है। वहीं ‘आसाढ़ी पूनो दिना, गाज बीज बरसन्त, नासै लक्षण काल का, आनन्द माने सन्त’ यानी आषाढ़ माह की पूर्णमासी को यदि आकाश में बादल गरजे और बिजली चमके तो वर्षा अधिक होगी और अकाल समाप्त होने से सज्जन आनंदित होंगे। ‘उत्तर चमकै बीजली, पूरब बहै जु बाव, घाघ कहै सुनु घाघिनी, बरधा भीतर लाव’ अर्थात यदि उत्तर दिशा में बिजली चमकती हो और पुरवा हवा बह रही हो तो घाघ कहते हैं कि बैलों को घर के अंदर बांध लो वर्षा शीघ्र होने वाली है। ‘उलटे गिरगिट ऊंचे चढ़ै, बरखा होई भूइं जल बुड़ै’ अर्थात यदि गिरगिट उलटा पेड़ पर चढ़े तो वर्षा इतनी अधिक होगी कि धरती पर जल ही जल दिखेगा और ‘करिया बादर जीउ डरवावै, भूरा बादर पानी लावै’ एवं ‘जब बरखा चित्रा में होय, सगरी खेती जावै खोय’ जैसे कवित्त रचकर महाकवि घाघ ने भोले भाले अनपढ़ किसानों को मौसम की सटीक जानकारी मुहैया कराई है। कवि घाघ की भविष्यवाणियां ग्रह नक्षत्रों की चाल, बादल एवं हवाओं के रुख और मेढ़क, गिरगिट, गौरैया, चींटी, तिलैया, कौआ, बैल आदि जैसे कई जीव-जंतुओं के हावभाव के आंकलन से मौसम का सटीक अनुमान है।



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