विश्व टीबी दिवस पर होगा आयोजन, राज्यपाल की अपील पर सीएमओ ने गोद लिए टीबी मरीज





गाजीपुर। वर्ष 2030 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व को टीबी मुक्त करने की बात कर रहा है। जबकि देश के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य रखा है। इसी विजन को हकीकत में तब्दील करने के लिए अनेकों राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत कई कार्यक्रम व अभियान चलाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के कार्यक्रम का आयोजन शासन के निर्देश पर गोराबाजार स्थित जिला अस्पताल पर किया जाएगा। आयोजन की तैयारियों और अन्य गतिविधियों को लेकर सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जीसी मौर्य ने एक प्रेस वार्ता कर साझा की। सीएमओ ने बताया कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा सभी अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों से 18 वर्ष तक के टीबी के मरीजों को गोद लिए जाने का निवेदन किया था। जिसके क्रम में उन्होंने स्वयं 21 टीबी मरीजों को गोद लिया और दो एमडीआर मरीज को गोद लिया गया। उनके पोषण की पूरी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभाई जा रही है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों में टीबी के लक्षण दिखे वह तत्काल अपने पास के स्वास्थ्य केंद्र या फिर जिला अस्पताल पहुंच निःशुल्क जांच करा सकते हैं। यहां तक कि मौजूदा समय में आशा और आँगनबाडी लोगों के घर-घर पहुंचकर टीबी के मरीजों को चिह्नित कर उनकी जांच करा रही है। उन्होंने बताया कि जनपद में 32 जगहों पर माइक्रोस्कोपी जांच किया जाता है जिसे डीएमसी भी बोला जाता है और इनके जांच उपरांत पुष्टि हो जाने पर इनकी दवा प्रारंभ कर दिया जाता है। एसीएमओ डॉ उमेश कुमार ने बताया कि जनपद में टीबी मरीजों की सुविधा के लिए 17 टीबी यूनिट स्थापित किए गए हैं। दो अतिरिक्त टीबी यूनिट खानपुर एवं गहमर में बनाया जाना प्रस्तावित है जिसके बन जाने के बाद मरीजों को सुविधा मिलना शुरू हो जाएगा। एमडीआर मरीजों के लिए जिला अस्पताल में चार बेड का डीआरटीबी वार्ड खोला गया है। जिसमें दो महिला और दो पुरुष के लिए आवंटित है। जिला क्षय रोग अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदाबाद पर सीबीनॉट जांच लैब है। साथ ही चार स्थान जिसमें जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदौरा, सैदपुर और जखनियां में ट्रूनेट जांच लैब भी स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों को आशा के द्वारा चिह्नित किया जाता है और उन्हें दवा खिलाया जाती है। उन आशाओं को 1 हजार रूपया और एमडीआर के मरीजों को दवा खिलाने पर 5 हजार का प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह राशि उसे तभी दी जाएगी जब मरीज का इलाज पूरा हो जाएगा और ठीक हो जाएगा। जिला कार्यक्रम समन्वयक मिथिलेश सिंह ने बताया कि टीबी मरीजों को पोषण योजना के अंतर्गत इलाज के दौरान 500 रूपया प्रति माह विभाग के द्वारा भुगतान किया जाता है। अब तक जनपद के सभी टीबी मरीजों में 1.56 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों की सूचना देने वाले को भी विभाग द्वारा 1 हजार रूपया का प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान किया जा सकता है। सूचना देने वाला कोई भी कोई भी हो सकता है। यह राशि उसे तभी दी जाएगी जब मरीज का इलाज पूरा हो जाएगा और ठीक हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष में दो बार सक्रिय टीबी खोज अभियान चलाया जाता है जिसमें घर घर जाकर टीबी के लक्षण पूछे जाते हैं। इसी कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले दिनों जिला कारागार, बाल सुधार गृह, अनाथालय, मदरसे इत्यादि जगहों पर यह अभियान चलाया गया और इस अभियान में कुल 105 मरीज चिह्नित किए गए। साथ ही उन्होंने बताया कि साल 2020 में एमडीआर मरीजों की संख्या 156 एवं साल 2021 में एमडीआर के मरीजों की संख्या 26 है।



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