समुचित नींद न आने की समस्या से पीड़ित हैं विश्व की 50 प्रतिशत आबादी, नींद की कमी से हो सकती हैं ये बीमारियां





गाजीपुर। जिस प्रकार शरीर के संचालन के लिए पौष्टिक भोजन की जरूरत होती है, उसी प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य के लिए मनुष्य को पर्याप्त गुणात्मक नींद की जरूरत होती है। यदि व्यक्ति निर्धारित समय से कम नींद लेता है तो उसको तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। नींद संबंधी समस्याओं की गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत लोग नींद की कमी से होने वाली परेशानियों से पीड़ित हैं। शुक्रवार को विश्व नींद दिवस पर जानकारी देते हुए एसीएमओ डॉ उमेश कुमार ने बताया कि नींद पूरी न होने पर अनेक समस्याएं हो सकती हैं। जिनमें सिर दर्द, पेट खराब, गैस, मोटापा, तनाव, डिप्रेशन, डायबिटीज, हृदय रोग, थकावट, कमजोरी, काम में मन न लगना, हार्मोनल परिवर्तन, थकान, एकाग्रता में कमी, स्फूर्ति में कमी, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, थकान, गुस्सा, प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना, भावनाओं का असामान्य होना, मेटाबोलिज्म प्रभावित होना, मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होना, अधिक मृत्यु दर, दुर्घटनाएं जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। बताया कि नींद की कमी के कारण होने वाली समस्याओं की गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि आमजन को नींद के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ही 19 मार्च को वर्ल्ड स्लीप डे (विश्व नींद दिवस) मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों को नींद की समस्याओं के बोझ से छुटकारा दिलाना और नींद की गड़बड़ियों को लेकर लोगों को जागरूक करना है। जिससे नींद की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सके। डॉ स्वतंत्र कुमार ने बताया कि नींद न आना भी बेहद खतरनाक है। जिसे इंसोमिनिया बोलते है और इससे वजन बढ़ने लगता है और निराजिकल समस्या बढ़ने लगता है। आजकल की भागदौड़ आपाधापी भरी जिंदगी में गुणात्मक नींद न आना बहुत बड़ी समस्या है। नींद की कमी के लिए अनिद्रा, सांस की समस्या, दमा, खर्राटे, स्लीप एपिनिया, तनाव, पौष्टिक भोजन की कमी, डिप्रेशन, कमजोरी, सर्दी जुकाम, अनियमित जीवन शैली, सोते समय पैर हिलाना, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप डिसऑर्डर, एलर्जी, पर्यावरण, शारीरिक मेहनत की कमी, बीमारी, सर्दी जुकाम ,फ्लू, दवाइयां, हार्मोनल असुंतलन आदि जिम्मेदार होते हैं। इसके साथ ही अनियमित जीवन शैली, शारीरिक श्रम की कमी, पर्यावरण, सोने का स्थान, आसपास का वातावरण भी काफी प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि अच्छी सेहत के लिए कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूरी है। उन्होंने बताया कि बेहतर नींद के लिए खाने के बाद तुरंत सोने के लिए न जाएं, खाना खाने के बाद थोड़ा टहलें, संतुलित और स्वस्थ आहार लें व भारी भोजन न करें। बताया कि शराब, सिगरेट, कॉफी, चाय, कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें। सोने वाला कमरा साफ, शांत, अंधेरा और एलर्जी व गंध से मुक्त होना चाहिए। बिस्तर का गद्दा पतला होना चाहिए। टीवी, कम्प्यूटर, मोबाइल का उपयोग सीमित करना चाहिए और गर्मी का मौसम होने के नाते अधिक से अधिक पानी का सेवन करे।



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